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Sunday, April 20, 2025

रिश्वत लेकर फिटनेस सर्टिफिकेट बनवा रही महिला, कैमरे में कैद हुआ रिश्वत का खेल


अधिकतर आर्मी व पुलिसकर्मियों के मेडिकल बनवाने की बात कह रही महिला

अनिल शर्मा
नित्य संदेश, मेरठ। जिला अस्पताल में आए दिन भ्रष्टाचार के मामले सुर्खियों में आते ही रहते हैं। इन भ्रष्टाचार के मामलों पर कभी कभी विभागीय कार्यवाही भी होती है, लेकिन अंकुश आज तक नहीं लग सका। ऐसा ही एक मामला उस समय देखने को मिला जब जिला अस्पताल की एमरजेन्सी के बाहर एक महिला को डाक्टरी के नाम पर रिश्वत लेते हुए देशबन्धु की टीम ने कैमरे में कैद किया। 

इस महिला ने एमरजेंसी के डाक्टर से फिटनेस सर्टिफिकेट पर हस्ताक्षर करवाए और लाकर हाथ में थमा दिया। इस तरह के भ्रष्टाचार से उन डाक्टरों की छवि भी खराब हो रही है, जो अपने कर्तव्य का निर्वहन पूरी ईमानदारी व निष्ठा के साथ कर रहे हैं। ये मामला तब शुरू हुआ जब एक रिटयर्ड आर्मी अफसर दोपहर 1ः50 पर जिला अस्पताल पहुंचा। इस दौरान पर्चा बनवाने की जददोजहद में लाईन में लगना पड़ा। अस्पताल परिसर के कर्मचारियों ने 2 बजते ही समय समाप्त होने का हवाला देते हुए खिड़की पर ताला जड़ दिया और पर्चा नहीं बनाया। उसके बाद आर्मी अफसर एमरजेंसी के पास पहुंचा और पूछताछ करने लगा। इसकी भनक एमरजेंसी में बैठे डाक्टरों को लग गई। जिसके बाद एक महिला आर्मी अफसर के पास पहुंची और फिटनेस सर्टिफिकेट बनवाने की गारंटी दी। जब उससे यकीन दिलाने का सवाल किया तो बोली कि पहले डाक्टर के हस्ताक्षर करा लाऊं उसके बाद आप पैसे देना। 

फिर क्या था यू हीं झटपट मिनटो में ही बन गया फिटनेस सर्टिकेट
महिला ने डाक्टर को देने के नाम पर 800 व खुद के लिए 200 रूपये रिश्वत के लिए. यह पूरा मामला देशबन्धु की टीम के कैमरे में कैद हो गया। महिला अपना नाम अलका बता रही है। उसने बताया कि हम पुलिस वालों, कांस्टेबलों, दरोगाओं व आर्मी वालों के ही अधिकतर मेडिकल बनवाते हैं। उसने मेडिकल बनवाने के लिए 1500 से दो हजार तक वसूलने की बात कही। 

डॉक्टरों ने भेजने का किया दावा 
महिला ने बताया कि जब आप लोग एमरजेंसी में आकर पूछताछ कर रहे थे तो वहां मौजूद डाक्टरों ने ही मुझे आप लोगों के पास भेजा, क्योंकि वह लोग डायरेक्ट रिश्वत नहीं ले सकते। ये महिला स्वास्थ्य विभाग की साफ छवि होने के दावों की पोल खोलती नजर आई। 

कई माह से ठंडे बस्ते में पडी है जांच 
बता दें कि आजकल एक फर्जी व झूठी एम.एल.सी. रिपोर्ट बनाने का मामला भी गर्माया हुआ है। जिसमें सीएमओ अशोक कटारिया ने जांच कमेटी गठित की हुई है। ये जांच कई माह से चली आ रही है। जांच कमेटी में डा. आर.के. सिरोहा व डा. वीर सिंह शामिल हैं। जांच आख्या के नाम पर चक्कर कटवाया जा रहा है। मामले में आरटीआई मांगी तो उसमें घुमाने का प्रयास किया। 

किसे बचा रहा विभाग 
इससे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि फर्जी व झूटी एमएलसी बनाने वाले डक्टरों को बचाने को प्रयास किया जा रहा हो। खैर अब ये तो जांच रिपोर्ट मिलने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा। वैसे जिला अस्पताल का हाल अभी राम भरोसे ही चल रहा है और भ्रष्टाचार के मामले आए दिन सामने आ रहे हैं।

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