डा. अभिषेक डबास
नित्य संदेश, नई दिल्ली। नेताजी सुभाष बोस-भारतीय राष्ट्रीय सेना ट्रस्ट द्वारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 129वीं जयंती के अवसर पर मोइरंग दिवस को श्रद्धापूर्वक
एवं गरिमापूर्ण ढंग से एफआईसीसीआई भवन में मनाया गया।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथियों के रूप में टोकन साहू, राज्य मंत्री, आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय, भारत सरकार (मुख्य अतिथि); रविंद्र इंद्राज सिंह, कैबिनेट मंत्री, दिल्ली सरकार (सामाजिक कल्याण, अनुसूचित जाति/जनजाति कल्याण
एवं सहकारी चुनाव); तथा कुंवर शेखर विजेंद्र, कुलाधिपति, शोभित विश्वविद्यालय एवं
चेयरमैन, एसोचैम राष्ट्रीय शिक्षा परिषद
की गरिमामयी उपस्थिति रही। कार्यक्रम में भारतीय राष्ट्रीय सेना ट्रस्ट के प्रमुख
पदाधिकारी ब्रिगेडियर आर.एस. छिकारा (अध्यक्ष), दिनेश सिंह एवं डॉ. निधि कुमार (न्यासीगण) तथा मंदीप मुखर्जी (रणनीतिक सलाहकार) की भी सहभागिता रही। सुप्रसिद्ध
नृत्यांगना और राज्यसभा सदस्य सोनल मान सिंह सांस्कृतिक संरक्षक के रूप में
प्रतीकात्मक रूप से कार्यक्रम से जुड़ी रहीं।
कुंवर शेखर विजेंद्र ने अपने मुख्य भाषण में मोइरंग को एक नागरिक पुनर्जागरण
का क्षण बताया। उन्होंने कहा, मोइरंग केवल एक रणभूमि नहीं थी—वह भारत की आत्मा का उद्घोष था। नेताजी ने स्वतंत्रता को अनुग्रह नहीं, बल्कि धर्म और जन्मसिद्ध अधिकार के रूप में प्राप्त
किया। भारत जब स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष की ओर अग्रसर है, तब मोइरंग दिवस की स्मृति हमें यह याद दिलाती है कि
आज़ादी केवल विजय नहीं, बल्कि एक नैतिक उत्तरदायित्व
है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की विरासत—जो नैतिक नेतृत्व, सांस्कृतिक आत्मबोध और अपराजेय राष्ट्रभक्ति में
निहित है—आज भी भारत के लिए प्रेरणा और
संकल्प का स्रोत है।
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