डा. अभिषेक डबास
नित्य संदेश, मेरठ। शोभित विश्वविद्यालय के "विधि एवं संवैधानिक अध्ययन स्कूल" में विश्वविद्यालय के प्रतियोगी परीक्षाओं के केंद्र 'लक्ष्य' और भारत सरकार के विधि एवं न्याय मंत्रालय की न्याय बंधु विधिक सेवा पहल के अधीन स्थापित प्रो. बोनो क्लब के संयुक्त तत्वावधान में "नए आपराधिक कानून: आपराधिक न्याय प्रणाली में युगांतकारी परिवर्तन? दीप्त व अदीप्त प्रावधानों का विश्लेषण" विषय पर विशेषज्ञ व्याख्यान का आयोजन किया गया।
मुख्य वक्ता डॉ. सुमित
पंवार ने नए आपराधिक कानूनों, भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता तथा
भारतीय साक्ष्य अधिनियम द्वारा किए गए प्रमुख परिवर्तनों और उनके सकारात्मक व नकारात्मक
प्रभावों की विस्तृत चर्चा की। कार्यक्रम अध्यक्ष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर
विनोद कुमार त्यागी ने विधिक शिक्षा में निरन्तर अद्यतन रहने तथा उनके प्रभाव का विश्लेषण
किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया। प्रतिकुलपति प्रोफेसर जयानंद ने कहा कि सामाजिक
आवश्यकता के अनुसार विधि में परिवर्तन विधायी उत्तरदायित्व की अनुपालना है। विधि संकाय
के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार गोयल ने अपराधिक विधि के लक्ष्य व उद्देश्यों का सविस्तार
उल्लेख करते हुए छात्रों का आह्वान किया कि उन्हें अपना दृष्टिकोण व्यापक बनाना होगा,
ताकि वे समय-समय पर समाज की आवश्यकता के अनुसार विधि के प्राविधानों का सक्षम निर्वचन
कर न्याय प्रशासन मे सार्थक योगदान कर सके।
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