नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन आज सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। संगोष्ठी के दूसरे दिन विभिन्न विषयों पर विशेषज्ञों के आमंत्रित व्याख्यान आयोजित किए गए, जिनमें शोध, कौशल विकास, पर्यावरण प्रबंधन, औद्योगिक अनुप्रयोग, तथा आउटकम-आधारित शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई।
संगोष्ठी के प्रथम व्याख्यान में प्रो. दिनेश सी. शर्मा (प्राणीशास्त्र विभागाध्यक्ष, कुमारी मायावती राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बादलपुर) ने "शोध एवं कौशल आधारित परियोजना शिक्षण: एनईपी-2020 की दृष्टि के अनुरूप" विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने अनुसंधान-आधारित शिक्षण के महत्व पर बल देते हुए बताया कि यह दृष्टिकोण छात्रों में आलोचनात्मक सोच और विश्लेषणात्मक क्षमता को बढ़ावा देता है, जिससे वे वास्तविक दुनिया की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हो सकें। इसके पश्चात, प्रो. विनोद कुमार शर्मा (डीन फैकल्टी एवं वरिष्ठतम प्रोफेसर, इंदिरा गांधी विकास अनुसंधान संस्थान, मुंबई) ने "पर्यावरण प्रबंधन हेतु सैद्धांतिक रसायन विज्ञान का उपयोग: क्षेत्रीय अनुसंधान प्रयोगशाला विश्लेषण एवं नीतिगत निर्माण का एकीकरण" विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान में सैद्धांतिक रसायन विज्ञान की भूमिका को रेखांकित करते हुए बताया कि वैज्ञानिक अनुसंधान नीतिगत निर्माण में योगदान देता है और पर्यावरणीय नियमों एवं प्रबंधन नीतियों को अधिक प्रभावी बनाता है।
अगले व्याख्यान में डॉ. विपिन कुमार शर्मा (सहायक प्रोफेसर, औषधि विभाग, गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार) ने "व्यावसायिक कार्यक्रमों में आउटकम-आधारित शिक्षा की भूमिका" पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि यह शिक्षा प्रणाली पारंपरिक शिक्षण विधियों से भिन्न होकर छात्रों को व्यावहारिक कौशल प्रदान करती है, जिससे वे समस्या-समाधान, आलोचनात्मक सोच और आजीवन सीखने की प्रवृत्ति विकसित कर सकते हैं। इसके बाद, डॉ. हरीश कुमार (मुख्य रसायनज्ञ एवं कार्यकारी अधिकारी, ओएनजीसी) ने "विज्ञान के औद्योगिक अनुप्रयोगों" पर व्याख्यान दिया। उन्होंने नवाचार, विनिर्माण और स्थिरता में रसायन विज्ञान की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह उद्योगों में तकनीकी और औद्योगिक प्रगति को आकार देने में सहायक है।
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग में आयोजित दो दिवसिय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन सत्र मे पद्मश्री सम्मानित प्रो. अशुतोष शर्मा, पूर्व सचिव, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) एवं भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (INSA) के अध्यक्ष द्वारा ऑनलाइन प्रेरणात्मक व्याख्यान प्रस्तुत किया गया। उनके डेढ़ घंटे चले प्रेरणात्मक व्याख्यान में उन्होंने छात्रों को वैज्ञानिक नवाचार, अनुसंधान प्रगति और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी नीति-निर्माण से संबंधित गहन अंतर्दृष्टि प्रदान की। उन्होंने शोध के बदलते परिदृश्य और उसके राष्ट्रीय एवं वैश्विक विकास पर प्रभाव पर चर्चा की। उनके व्याख्यान ने प्रतिभागियों को नवोदित अवसरों और अंतःविषयक सहयोग की भूमिका को समझने के लिए प्रेरित किया जो विज्ञान और नवाचार के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण है।उन्होंने जीवन में नवाचार को आत्मसात करने के लिए प्रेरित किया उन्होंने कहा जब हम सरस्वती जी की प्रार्थना करते है तो साथ में लक्ष्मी की भी आराधना करनी चाहिए क्योंकि लक्ष्य को पूरा करने में दोनो का ही योगदान है अर्थ और विद्या दोनो ही महत्वपूर्ण है कार्य को सिद्ध करने में। उन्होंने विभिन्न छात्रों के सवालों का भी जवाब दिया तथा विभिन्न विषयों पर उनकी जिज्ञासाओ का समाधान किया।
समापन सत्र का संचालन डॉ. प्रियंका कक्कड़ ने किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री लक्ष्मीकांत वाजपेई (सांसद, राज्यसभा) रहे, जबकि अध्यक्षता विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला ने की।
संगोष्ठी संयोजक डॉ. नाजिया तरन्नुम ने पूरे सत्र के दौरान हुई चर्चाओं एवं महत्वपूर्ण निष्कर्षों पर रिपोर्ट प्रस्तुत की। प्रतिष्ठित वक्ताओं और आयोजकों ने संगोष्ठी के प्रभाव पर विचार साझा किए और प्रतिभागियों को मिले ज्ञान एवं सीख को उनके शैक्षणिक एवं व्यावसायिक लक्ष्यों में लागू करने के लिए प्रेरित किया। समापन समारोह में प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र एवं पुरस्कार प्रदान किए गए। कार्यक्रम का समापन डॉ. मीनू तेवतिया द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें उन्होंने सभी वक्ताओं, प्रतिभागियों एवं आयोजकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। इस अवसर पर प्रो. जयमाला (संकाय अध्यक्ष, विज्ञान), प्रो. आर. के. सोनी, प्रो. आर. डी. कौशिक, प्रो. राजीव जैन, डॉ. मुक्ति वर्मा, डॉ. मनीषा भारद्वाज, डॉ. योगेंद्र सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
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