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Wednesday, March 12, 2025

महामूर्ख सम्मेलन


नित्य संदेश. कुछ आधुनिक बुद्धिजीवियों को लगता है कि परिवार की महिलाओं द्वारा होलिका का पूजन बेकार की चीज है, केवल कर्म से ही सब कुछ संभव है। हम सब जानते हैं कि भारतीय संस्कृति, सभ्यता, रीति रिवाज, व्रत त्यौहार सब कुछ वैज्ञानिक आधार पर आधारित है। 

          परम्पराओं का निर्वाह हमें, संस्कृति से जोड़ता,
          पुरखों के बनाये नियम, संस्कारों से जोड़ता। 
          खरा- परखा तजुर्बा है, विज्ञान कसौटी पर कसा,
          रीति- रिवाज का पालन हमें, सभ्यता से जोड़ता।  
नव ऋतु आगमन पर, त्योहारों का प्रारम्भ होता,
नई फसलों का आगमन, उत्सव प्रारम्भ होता।
ऋतु का संधिकाल होता, स्वास्थ्य पर पड़ता असर,
स्वस्थ तन मन बना रहे, नवरात्रों का प्रारम्भ होता।
             
दिल्ली और खासकर पुरानी दिल्ली की होली देशभर में काफी ज्यादा प्रसिद्ध है. पुरानी दिल्ली में पुरानी परंपराओं के साथ जिस तरह से होली मनाई जाती थी, उसे लोग आज भी याद करते हैं. खासकर चांदनी चौक इलाके के भागीरथ पैलेस में होने वाली होली की परंपराओं को लोग आज भी याद करते हैं.

महा मूर्ख सम्मेलन के आयोजन में दूर-दूर से हास्य व्यंग्य लेखक, साहित्यकारों को यहां बुलाया जाता था. वहीं भागीरथ पैलेस से एक गधा यात्रा भी निकाली जाती थी, जिस यात्रा में कई साहित्यकार भी भाग लेते थे और फिर पूरे चांदनी चौक में घुमाया जाता था. घुमाते समय पूरा जुलूस निकाला जाता था, जिसमें होली के गीत और तमाम तरह के चुटकुले होते थे. यात्रा फतेहपुरी चौक, फल सब्जी मंडी, कटरा से होकर गुजरती थी. इस दौरान हर गली-मोहल्ले में लोग उनके स्वागत के लिए कोल्ड ड्रिंक और मिठाइयां लेकर खड़े रहते थे.

इस सम्मेलन में महामूर्ख की उपाधि से भी नवाजा जाता था और पुरस्कार स्वरूप गधे की मूर्ति भेंट की गई जाता थी. वहीं महामूर्ख सम्मेलन के आयोजन के लिए दूर-दूर से हास्य कलाकारों और साहित्यकारों को आमंत्रित किया जाता था. बॉलीवुड फिल्मों में टुनटुन नाम से काम करने वाली उमा देवी खत्री और मशहूर कवयित्री अमृता प्रीतम भी यहां होली कार्यक्रम के लिए आती थीं.

प्रस्तुति 
चौधरी गौरव कुमार 
(वरिष्ठ पत्रकार)

1 comment:

  1. बहुत ही शानदार तरीके से समझाया..... अद्भुत

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