लियाकत मंसूरी
नित्य संदेश, मेरठ। शहर काजी को लेकर चल रहा विवाद सोमवार को खत्म हो गया। कारी शफीकुर्रहमान और डा. सालिकीन के बीच बैठक हुई और समझौता हो गया। सदर बाज़ार स्थित मुस्तफा केसल नवाब इस्माइल कोठी में दोनों पक्षों की बैठक हुई। यहां शहर काजी डॉ. जैनुस सालिकीन सिद्दीक़ी और कारी शफीकुर्रहमान कासमी शामिल हुए। कारी शफीक ने कहा कि शहर काजी सालिकीन ही रहेंगे और वे उनकी सरपरस्ती करेंगे। कारी शफीकुर्रहमान कासमी ने उनके सिर पर हाथ रखकर कहा कि वह सालिकीन को बेटे की तरह समझेंगे। वहीं सालिकीन ने भी कहा कि कारी शफीकुर्रहमान पहले की तरह अपनी जिम्मेदारी निभाते रहेंगे।
ये था विवाद
गौरतलब है कि शहर काजी प्रो. जैनुस साजिद्दीन का इंतकाल
होने के बाद उनके बेटे डॉ. जैनुस सालिकीन सिद्दीकी को शहर काजी बनाया गया था। इसका
कारी शफीकुर्रहमान ने विरोध कर दिया था। उनका कहना था कि सालिकीन नाअहल यानी इस पद
के लायक नहीं है, वह आलिम भी नहीं है। वह तो अलीगढ़
में रहते हैं, वह कैसे इस जिम्मेदारी को उठा
सकते हैं। कैसे ईद की नमाज ऐसे व्यक्ति के पीछे पढ़ी जाएगी, जो आलिम है ना मौलवी? इस पर डॉ. सालिकीन ने कहा था कि वह कारी शफीकुर्रहमान के बारे में कुछ नहीं
कहेंगे। बस इतना ही कहना चाहेंगे कि उनका परिवार मुगलों के वक्त से ही शहर काजी पद
की जिम्मेदारी निभाता आ रहा है। वे अपने परिवार की परंपरा के अनुसार, शहर में अमन और
शांति का पैगाम देते हुए शहर काजी पद पर काम करेंगे।
बीते शुक्रवार को दोनों पक्षों में हुई थी तनातनी
बीते शुक्रवार को जामा मस्जिद में कारी शफीकुर्रहमान को लोगों ने तकरीर करने के लिए माइक तक नहीं दिया था और उनका जोरदार विरोध कर दिया था। सोमवार को कारी शफीकुर्रहमान ने यू टर्न ले लिया। सदर बाज़ार स्थित मुस्तफा केसल नवाब इस्माइल कोठी में जिम्मेदारों की बैठक हुई, इसमें कारी शफीकुर्रहमान ने कहा कि डॉ. सालिकीन ही शहर काजी हैं और पूर्व की तरह वह अपनी जिम्मेदारी निभाते रहेंगे। वहीं डॉ. सालिकीन ने भी कहा कि वह कारी शफीकुर्रहमान को अपने वालिद की तरह समझेंगे, साथ ही कारी ही ईद की नमाज से पहले तकरीर करेंगे।
गणमान्य लोगों द्वारा रखी गई बैठक
सदर बाज़ार स्थित मुस्तफा केसल नवाब इस्माइल कोठी में सोमवार को शहर के गणमान्य लोगों द्वारा यह बैठक रखी गई थी। जिसमें
शहर के उलमाओं की दरखास्त पर दोनों
पक्षगण पूरी दुनिया और देश के हालात के मद्देनजर गौर, फिक्र के बाद आपसी इख़्तलाफ़ को दरकिनार रखकर मुसलमानों और शाही जामा
मस्जिद को विवाद से बचाने के लिए एक साथ बैठे।
शहर
काजी ने कहा कारी शफीक वालिद की तरह
डॉ. प्रोफेसर जैनुस
सालिकीन व कारी शफीकुर्रहमान कासमी ने सुलह कर ली और रंजिश मिटाकर इत्तेफाक कर
लिया। इस मौके पर डॉ. जैनुस सालिकीन
ने कहा कि कारी शफीकुर्रहमान कासमी उनके बड़े और वालिद की
जगह हैं, मैं उनकी सरपरस्ती में उलमा ए
किराम को साथ लेकर अवाम की उम्मीदों पर खरा उतरने की हर मुमकिन कोशिश करूंगा। इसी तरह कारी शफीकुर्रहमान ने डॉ. जैनुल सालिकीन के सिर पर हाथ रखते हुए
कहा कि मैं इख़्तलाफ ख़त्म करता हूँ, डॉ. जैनुल सालिकीन
मेरी औलाद की तरह हैं, मैं शहर मेरठ में कौम की सलामती
के लिए हर जगह, हर मौके पर साथ खड़ा होकर सरपरस्ती करूंगा।
बैठक
में ये रहें मौजूद
कारी शफीकुर्रहमान की दुआ पर मीटिंग खत्म हुई। मीटिंग में अख़्तर कुरैशी, साबिर खान, डॉ. नबील सिराज, हाजी जावेद रशीद, बदर अली, हाजी सिराज, मंजूर सैफी, शकील भारती, मुईनुद्दीन, हाजी अंजुम जमाल, हाजी शिराज रहमान, कारी अफ़फान आदि मौजूद रहे।
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