सपना साहू
नित्य संदेश, इंदौर। हंसा मेहता की दो पुस्तकों ‘खाली डॉयरी ’(लघु कथा संग्रह) और ‘वचनम किम् दरिद्रम ’ (संस्मरण) का लोकार्पण श्री मध्य भारत हिन्दी समिति में किया गया।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में लघु कथा संग्रह ‘खाली डायरी ’ पर बोलते हुए डॉ.योगेन्द्र नाथ ने कहा कि हंसा मेहता ने अपनी लघुकथाओं में समाज में फैलती जा रही संघर्षमय जीवन, स्वार्थ प्रियता, आत्मकेंद्रीयता, अलगाव, रिश्तों में टूटन जैसी बुराईयों को रचनाओं में प्रचुरता से स्थान दिया है।
चर्चाकार एवं संस्था अध्यक्ष ज्योति जैन ने संस्मरण विधा की कृति ‘ वचनम् किम् दरिद्रम ’ पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हंसा मेहता ने अपनी यादों की संदूकची में से बहुत सारे संस्मरण निकाल कर हमारे सामने रख दिए हैं। इन संस्मरणों में परिवार प्रमुखता से व्यक्त हुआ है । इसके अलावा संवेदनशीलता, सामाजिकता, और धार्मिक पाखण्ड आदि भी प्रभावी रूप से व्यक्त हुए हैं जो हमें सोचने पर विवश कर देते हैं।
कायर्क्रम की विशेष अतिथि डॉ सुधा चौहान ने लेखिका की रचनाधर्मिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि लेखन का सीधा संबध दिल से होता है । अभिव्यक्ति के समय लेखक का स्वयं से साक्षात्कार होता है और रचना जीवंत हो उठती है यही जीवंतता उनकी रचनाओं में है।
अपनी रचना प्रक्रिया के बारे में हंसा मेहता ने स्पष्ट किया कि शिकायतों की गठरी जितनी हलकी होगी जीवन उतना ही शांत होगा। मन की छटपटाहट का आलेख हैं मेरी पुस्तकें ;अवांछनीयऔर त्याज्य घटनाओं को अपने आसपास घटित होते देखती हूं तो उन्हें अपनों से साझा करना चाहती हूं। वे ही लघुकथाओं और संस्मरण के रूप में पाठक के समक्ष आ जाती हैं।
कार्यक्रम का संचालन प्रीति दुबे, सरस्वती वंदना वाणी जोशी ने प्रस्तुत की। अतिथियों का स्वागत एवं स्मृति चिन्ह् मनीष मेहता, पद्मा राजेन्द्र, इंदु पाराशर, सुजाता देशपांडे, ऊषा मेहता, कविता मेहता आदि ने भेंट किए तथा आभार प्रशांत मेहता ने व्यक्त किया।
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