डा. अभिषेक डबास
नित्य संदेश, मोदीपुरम।
शोभित विश्वविद्यालय के विधि संकाय के छात्रों ने उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक निर्णयों
पर एक विस्तृत प्रस्तुति आयोजित की। इस प्रस्तुति में उन्होंने भारतीय न्यायशास्त्र
को आकार देने वाले महत्वपूर्ण मामलों पर अपने विधिक ज्ञान और समझ का प्रदर्शन किया।
डाक्टर पल्लवी जैन के समन्वय
मे आयोजित इस कार्यक्रम व प्रस्तुति का उद्देश्य ऐतिहासिक निर्णयों से श्रोताओं को
अवगत कराना और उक्त निर्णयों का विधि के विकास और सामाजिक समस्याओं के निदान में योगदान
को रेखांकित करना था। प्रतिभागी छात्रों ने उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित प्रमुख निर्णयों
का सघन विश्लेषण किया, उनकी पृष्ठभूमि, कानूनी तर्क-वितर्क और भारतीय व्यवस्था पर उनके
प्रभाव को विस्तार से समझाया। इस अवसर पर संकाय सदस्यों ने छात्रों के अनुसंधान और
प्रभावशाली प्रस्तुति की सराहना की। उन्होंने न्यायिक उद्धरणों की समझ को कानूनी दृष्टिकोण
विकसित करने और भावी विधि विशेषज्ञों में आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण
बताया।
विद्यालय निदेशक प्रमोद
कुमार गोयल ने कहा, यह पहल न केवल कानूनी ज्ञान को समृद्ध करती है, बल्कि उन विश्लेषणात्मक
कौशल को भी विकसित करती है, जो भविष्य के कानूनी पेशेवरों के लिए आवश्यक हैं। कार्यक्रम
का समापन एक संवादात्मक सत्र के साथ हुआ, जिसमें छात्रों ने समकालीन कानूनी मुद्दों
और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा में न्यायपालिका की भूमिका पर चर्चा की। इस दौरान छात्रों
की भागीदारी से स्पष्ट हुआ कि न्यायिक निर्णयों और उनके व्यापक सामाजिक प्रभावों में
उनकी रुचि लगातार बढ़ रही है।
इस कार्यक्रम की सफलता
शोभित विश्वविद्यालय की कानूनी विद्या और संवैधानिक सिद्धांतों में व्यावहारिक जुड़ाव
को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को प्रतिबिम्बित करती है। ऐसे प्रयास छात्रों को कानून
और न्याय के क्षेत्र में गहराई से प्रवेश करने के लिए प्रेरित करते हैं और उन्हें कानूनी
बिरादरी का अग्रदूत बनने के लिए तैयार करते हैं।
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