नित्य संदेश ब्यूरो
नई दिल्ली। डायबिटीज अब सिर्फ़ एक बीमारी नहीं रह गई है। यह एक जटिल स्थिति बन गई है, जिसके साथ अक्सर कई अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ भी होती हैं, जिससे रोगियों और हेल्थ सेक्टर पर बोझ बढ़ता जा रहा है। प्रमुख मधुमेह विशेषज्ञ डॉ. राजीव चावला दिल्ली जैसे शहरी केंद्रों में समग्र देखभाल मॉडल की बढ़ती ज़रूरत कि बात कहते है।
डॉ. राजीव चावला बताते हैं, "मधुमेह अकेले नहीं आता है।" "कई लोगों के लिए, यह हाई बीपी , डिस्लिपिडेमिया, हृदय रोग, गुर्दे की बीमारी, मोटापा और वेनस संबंधी समस्याओं जैसी कई अन्य गंभीर स्थितियों को साथ लेकर आता है। डॉ. चावला के अनुसार, ये स्वास्थ्य समस्याएँ रोगी के जोखिम और उच्च स्वास्थ्य सेवा लागत को भी बढ़ा देती है। डॉ. चावला कहते हैं 50 से 80 प्रतिशत मधुमेह रोगियों में हाई बीपी भी होता है, और लगभग 70 प्रतिशत डिस्लिपिडेमिया से जूझते हैं।दिल्ली जैसे शहरों में, जहाँ गतिहीन जीवनशैली और आहार संबंधी कारक मोटापे की दर को बढ़ाते हैं, मल्टी-मॉर्बिड जटिलताओं का जोखिम और भी बढ़ जाता है। डॉ. चावला कहते हैं, मधुमेह के प्रबंधन के लिए एक वरसीटाइल उपचार योजना की आवश्यकता है जो सही तरीके से रोगी की सभी स्थितियों को समझे । दिल्ली का उन्नत स्वास्थ्य सेवा ढांचा जटिलताओं के लिए नियमित जांच, अंतर-विशेषज्ञ सहयोग और प्रत्येक रोगी की अनूठी स्वास्थ्य प्रोफ़ाइल के आधार पर व्यक्तिगत देखभाल योजनाओं को एक साथ लाकर देखभाल मॉडल विकसित करने का अवसर प्रदान करता है।
एम्स और दिल्ली के अन्य मधुमेह केंद्रों में, रोगी की प्रगति को ट्रैक करने और कई विशेषज्ञों के बीच समन्वित देखभाल सुनिश्चित करने में मदद करने के लिए डिजिटल स्वास्थ्य प्लेटफ़ॉर्म भी पेश किए जा रहे हैं। डॉ. चावला कहते हैं, "ये पहल मरीजों के परिणामों और जीवन की गुणवत्ता में महत्वपूर्ण सुधार दिखा रही हैं।
डॉ. चावला ने निष्कर्ष निकाला कि नियमित निगरानी, सभी विशेषज्ञयो की देखभाल और सही उपचारों को शामिल करने वाले समग्र दृष्टिकोण के साथ, स्वास्थ्य सेवा प्रदाता मधुमेह और जटिलताओं के इसके जटिल नेटवर्क का बेहतर प्रबंधन कर सकते हैं।

No comments:
Post a Comment