शाहिद खान
नित्य संदेश, नई दिल्ली. दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट के अधिवक्ताओं ने देशभर में अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम लागू करने की मांग को लेकर मंगलवार से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की है। इस आंदोलन का नेतृत्व अधिवक्ता उदित गर्ग (मेरठ बार एसोसिएशन के सदस्य) और कड़कड़डूमा कोर्ट के अधिवक्ता महेश चंद, सक्षम आनंद, पुष्कर राज और राहुल चंदेल द्वारा किया जा रहा है। हड़ताल कोर्ट के प्रवेश द्वार नंबर 3 के बाहर सुबह 9 बजे से शुरू हुई।
हाल के दिनों में अधिवक्ताओं पर हिंसा की घटनाओं में चिंताजनक वृद्धि हुई है।
- 26 फरवरी 2024: मेरठ (उत्तर प्रदेश) में एक अधिवक्ता पर बंदूकधारियों का हमला।
- 21 अगस्त 2024: दिल्ली के शकरपुर थाने में पुलिस अधिकारी द्वारा अधिवक्ता पर हमला।
- 21 अक्टूबर 2024: दिल्ली के महरौली क्षेत्र में स्थानीय गुंडों द्वारा अधिवक्ताओं पर हमला।
- 29 अक्टूबर 2024: गाजियाबाद कोर्ट परिसर में पुलिस द्वारा अधिवक्ताओं पर लाठीचार्ज।
- 12 नवंबर 2024: दिल्ली के एम.एस. पार्क थाने में पुलिस द्वारा अधिवक्ता की पिटाई।
- 20 नवंबर 2024: तमिलनाडु के होसुर कोर्ट परिसर में एक अधिवक्ता की निर्मम हत्या।
इन घटनाओं के बावजूद सरकार और न्यायपालिका द्वारा अधिवक्ताओं की सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। उल्लेखनीय है कि हाल ही में पश्चिम बंगाल के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक महिला डॉक्टर की हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान (सुओ मोटो) लिया। इसी तरह, कड़कड़डूमा कोर्ट के अधिवक्ता इस भूख हड़ताल के माध्यम से अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम की तत्काल आवश्यकता पर जोर दे रहे हैं।
अधिवक्ताओं की मांग:
1. अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम पूरे भारत में तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए।
2. अधिवक्ताओं की सुरक्षा के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं।
3. सरकार और न्यायपालिका इस मामले में आवश्यक संज्ञान लें।
इस हड़ताल के दौरान अधिवक्ताओं ने शांतिपूर्ण और संविधान सम्मत तरीके से विरोध जताने का निर्णय लिया है। आंदोलन कब तक चलेगा, यह अधिनियम लागू होने की प्रक्रिया पर निर्भर करेगा। यह आंदोलन न्याय और अधिवक्ता समुदाय के हितों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। समाज और न्यायपालिका से अपेक्षा है कि वे इस मुद्दे पर ध्यान दें और आवश्यक कार्रवाई करें।
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