नित्य
संदेश एजेंसी
नई दिल्ली: उत्तर
प्रदेश में खेती हमेशा से किसानों की आजीविका का मुख्य साधन रही
है, सरसों की
फसल का इसमें महत्वपूर्ण योगदान है। खेती में उन्नत तकनीक और गुणवत्तापूर्ण बीजों
के इस्तेमाल से किसानों की उपज और आय में वृद्धि हो रही है। इस दिशा में श्रीराम
1666 सरसों बीज ने किसानों को बेहतर उत्पादन और मुनाफे के अवसर दिए हैं।
उत्तर
प्रदेश के किसानों का कहना है कि श्रीराम 1666 सरसों बीज ने कृषि जगत में एक नई
क्रांति ला दी है। इस बीज की उत्कृष्ट उत्पादन क्षमता, अधिक तेल की मात्रा, रोग प्रतिरोधक क्षमता और विविध जलवायु
परिस्थितियों के प्रति अनुकूलता इसे तेजी से लोकप्रिय बना रही है। मेरठ जिले
के किसान राकेश
सिंह ने बताया कि श्रीराम 1666 बीज ने उनकी फसल की गुणवत्ता और उपज में बढ़ोतरी की
है। उन्होंने कहा कि पिछले साल की तुलना में इस साल उनकी उपज में 15 प्रतिशत की वृद्धि
हुई है और तेल की मात्रा में भी सुधार हुआ है। इसी प्रकार, बहराईच जिले के किसान अतुल कुमार सिंह ने भी इस बीज की तारीफ की, जिन्होंने बताया यह बीज नीचे से बेहतर
फुटान, अधिक तेल
की मात्रा, रोग
प्रतिरोधक क्षमता और कम लागत में अधिक पैदावार के लिए अन्य किसानों के बीच भी
अनुशंसित किया जा रहा है।
किसानों
के अनुसार, यह
हाइब्रिड बीज अन्य परंपरागत किस्मों की तुलना में नीचे से बेहतर फुटान और प्रति
फली अधिक दाने उत्पन्न करता है, जिससे तेल
की मात्रा में भी वृद्धि होती है। इसकी वजह से किसानों को अधिक उपज के चलते प्रति
एकड़ ₹5000 तक का अतिरिक्त मुनाफा हो रहा है। इसके उच्च तेल
मात्रा वाले दाने बाजार में ऊंचे दामों पर बिकते हैं, जिससे किसानों की आय में भी वृद्धि
होती है।
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