-एक्सेस टू जस्टिस कार्यक्रम के सहयोगी संगठन जनहित फाउंडेशन ने राज्य में तत्काल इस आदेश पर अमल की मांग की
नित्य संदेश
मेरठ। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की ओर से प्रस्तावित दिशा-निर्देशों पर मुहर लगाते हुए सभी राज्यों व केंद्र शासित क्षेत्रों को यौन
शोषण के पीड़ित बच्चों के लिए अनिवार्य रूप से सपोर्ट पर्सन की नियुक्ति का आदेश
देने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले का बाल अधिकारों के लिए काम कर रहे गैर सरकारी
संगठन जनहित फाउंडेशन ने इस आदेश पर तत्काल प्रभाव से अमल की अपील की है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण
के लिए काम कर रहे गैर सरकारी संगठन जनहित फाउंडेशन की निदेशिका अनिता राणा ने कहा, यह एक ऐतिहासिक फैसला है जो यौन शोषण के पीड़ित बच्चों की कई तरह से मदद करेगा।
जमीन पर काम करने वाला संगठन होने के नाते हम कानूनी लड़ाई के दौरान बच्चों के
संघर्षों और उनकी परेशानियों से अच्छी तरह वाकिफ हैं। एक्सेस टू जस्टिस कार्यक्रम
का सहयोगी होने के तौर पर हम चाहते हैं कि यौन शोषण के पीड़ित असंख्य बच्चों और
उनके परिवारों की तकलीफ को कम करने के लिए राज्य सरकार तत्काल सुप्रीम कोर्ट के इस
फैसले पर अमल करे। हमारे द्वारा भी जनपद मेरठ में पॉक्सो के मामलों में पीड़ित
बच्चों की मदद की गयी हैं। सपोर्ट पर्सन की नियुक्ति से पीड़ित बच्चों को अपनी पीड़ा
से उबरने और उसका शोषण करने वाले अपराधी से अदालत में सामना करने में मदद मिलेगी। ये
दिशा-निर्देश योग्यता
का एक समान मानक स्थापित करते हैं, जहां नियुक्ति के इच्छुक
अभ्यर्थियों के लिए सामाजिक कार्य, समाजशास्त्र, मनोविज्ञान या बाल विकास में स्नातकोत्तर डिग्री अनिवार्य है। वैकल्पिक रूप से स्नातक डिग्री और बाल शिक्षा, बाल विकास या बाल सुरक्षा के
क्षेत्र में न्यूनतम तीन साल का अनुभव वाले उम्मीदवार भी पात्र हैं।
जनहित फाउंडेशन के बारे में
जनहित फाउंडेशन एक्सेस टू जस्टिस कार्यक्रम का सहयोगी है, जो दुनिया के
सबसे बड़े कानूनी हस्तक्षेप कार्यक्रमों में शुमार है और इसके साथ 200 से भी ज्यादा संगठन बच्चों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए 400 से ज्यादा जिलों में जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं। बतादे कि न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति एन.
कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ ने सभी राज्य सरकारों/केंद्रशासित क्षेत्रों को यौन
अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत लंबित मामलों में पीड़ित
बच्चों की सहायता के लिए एनसीपीसीआर के दिशा-निर्देशों के मुताबिक सपोर्ट पर्सन की नियुक्ति, उनकी योग्यता और जिम्मेदारियां तय करने के आदेश पर अमल के बाबत चार हफ्ते में
अनुपालन रिपोर्ट सौंपने को कहा है।
सपोर्ट पर्सन के बारे में
बताते चलें कि सपोर्ट पर्सन वह व्यक्ति होता है जो यौन शोषण व उत्पीड़न के
शिकार बच्चों की भावनात्मक व कानूनी रूप से मदद करते हुए उन्हें पीड़ा से उबरने व
समाज की मुख्य धारा में वापस लाने में सहयोग करता है। बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए) की
ओर से दायर याचिका में उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले में दलित नाबालिग बच्ची के
साथ पांच महीने तक सामूहिक बलात्कार और शिकायत करने के लिए थाने जाने पर वहां एक
पुलिस अधिकारी द्वारा उससे बलात्कार का मामला उठाते हुए बच्चों के प्रति मित्रवत
नीतियों और बच्चों की सुरक्षा से जुड़े दिशा-निर्देशों पर अमल का आदेश देने की मांग उठाई गई थी।
No comments:
Post a Comment