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Tuesday, July 1, 2025

हजरत औन और हजरत मौहम्मद की शहादत बयां की


नित्य संदेश ब्यूरो 
मेरठः मोहर्रम की पांचवी तारीख को या हुसैन, या-अब्बास की सदाओं के बीच बुढ़ाना गेट स्थित इमाम बारगाह मोहम्मद अली खां से 4 बजे जुलजनाह का कदीमी जुलूस बड़ी अकीदत के साथ बरामद हुआ, जिसमें झूला हजरत अली असग़र व अलम-ए-मुबारक शामिल रहे। 

शहर व आस पास के क्षेत्रों से आये हुसैनी सौगवारों व अन्जुमन फौजे हुसैनी जै़दी फार्म सहित अंजुमन इमामिया के वाजिद अली गप्पू, चांद मियां, मीसम, रविश तथा अन्जुमन दस्तए हुसैनी के साहिबे ब्याज, हुमायूं अब्बास ताबिश, अतीक-उल-हसनैन ने तालिब अली के संचालन में तन्जीम-ए-अब्बास के सफदर अली, काशिफ जै़दी, दारेन, जिया जै़दी ने नौहेख्वानी व मातम करके इमाम हुसैन की शहादत का मकसद बयां किया। जुलूस अपने निर्धारित रास्तो से गुजरता हुआ देर रात्रि वापस इसी इमामबारगाह पहुंच कर सम्पन्न हुआ। जुलूस में बड़ी संख्या में हुसैनी सौगवार शरीक रहे। जुलूस के प्रबन्धक हैदर अली, हैदर मेंहदी रहे इस दौरान कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रही। इसी क्रम में पूर्व में मंजूर हुसैन के अज़ाखाने कोटला से 12 बजे गश्ती जुलजनाह बरामद होकर गली बाजार कैंचीवालान से गुजरकर वापस इसी स्थान पर पहुंचा। 

मौहर्रम कमैटी के मीडिया प्रभारी अली हैदर रिज़वी ने बताया कि छः मौहर्रम 2 जुलाई दरबारे हुसैनी जै़दी फार्म में दिलबर जैदी के प्रबन्ध में अलम-ए-मुबारक और शहर में इमामबारगाह तकी हुसैन बाजार पेड़ामल से 4 बजे जुलूस-ए-जुलजनाह बरामद होगा।  

गमे-हुसैन में मजालिसें 
गमगीन माहौल में मजलिसों का सिलसिला जारी रहा. सुबह 10 बजे जै़दी नगर सोसायटी स्थित इमामबारगाह पंजेतनी में मौलाना मुस्तफा अली खान साहब लखनऊ ने सुबह 11 बजे, दरबारे हुसैनी जै़दी फार्म में मौलाना सैयद अम्मार हैदर रिज़वी ईरान ने तथा इसी स्थान पर रात्री में 9 बजे मौलाना इब्ने हसन नकवी ने इमामबारगाह इश्तियाक हुसैन जै़दी फार्म में रात्री 8 बजे मौलाना शब्बर हुसैन खान लखनऊ ने, इमाम बारगाह अबुतालिब लोहिया नगर में रात्री 9 बजे मौलाना अम्मार हैदर रिज़वी ने मजलिसों को खिताब किया। 

इसके अतिरिक्त शहर घण्टाघर शाहे करबला मनसबिया में मौलाना शब्बर हुसैन खान, छोटी कर्बला, चौड़ा कुंआ में मौलाना सैयद अब्बास बाकरी ने इमामबारगाह डा0 इकबाल हुसैन सफवी मरहूम हुसैनाबाद में मौलाना गुलाम अब्बास नौगावां सादात ने सांय 4 बजे व अनेको अज़ाखानों की मजलिसों में जनाब-ए-जैनब के बेटों हजरत औन और हजरत मौहम्मद की शहादत बयां की गई जिसे सुनकर हुसैनी सौगवारों की आंखों में आंसू छलक उठे। 

 

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