अशोक कुमार
नित्य संदेश, मेरठ। रक्षा बंधन पर्व पर गुरु परिवार ने सदर धर्म पुरी स्थित गुरू गोरक्षनाथ सिद्ध पीठ पर धुना चेता कर गुरु की सेवा एवं मंत्र उच्चारण के साथ ध्यान योग साधना की। तदोपरांत गुरु गद्दी पर रक्षा बंधन पर्व क्यों मनाया जाता है, इस पर गुरु सेवक गौरव नाथ व अन्य सेवकों ने बताया।
गोगा जाहरवीर के जन्म से पूर्व की एक घटना, जिसका उल्लेख गोरख महापुराण में है, जब गोगा जी माता बाछल के गर्भ में थे, तब पाताल लोक के नागों के राजा ने इन्हें गर्भ में ही मारने की योजना बनाई थी। कारण यह बताया गया कि जब बाछल रानी अपने पिता के घर से बैल गाड़ी में सवार होकर सिपाहियों के साथ जा रही थी, तब रास्ते में इनकी बैल गाड़ी का पहिया बमीं यानि सांपों के मिट्टी के टीले पर चढ़ गया था, इसके टकरा जाने से पाताल लोक में अपनी पत्नी के साथ बैठे नागों के शाक्तिशाली राजा पलंग से अचानक निचे गिर पड़े, जिससे उन्हें बड़ी ग्लानि महसूस हुई थी, पता चला कि उनके गिरने का कारण बाछल माता के गर्भ में गोगा जाहरवीर है, वह इतना शक्तिशाली है कि पैदा होने से पहले ही इतनी ताकत है अगर जन्म ले लिया तो हमारा जीना दुभर कर देगा। उन्होंने तभी गोगा को खत्म करने की योजना बना कर दो खुंखार जहरिले नागों के जहारवीर को गर्भ में मारने का हुक्म दिया।
बता दें है कि दोनों नाग तुरंत बैल गाड़ी के पहिए में आकर बैठ गये। तथा मौका पाते ही उन्होंने गाड़ी वान तथा सिपाहियों और बैलों को डसं लिया। सभी मुर्क्षित हो गये। कुछ देर बाद माता बाछल को गोगा जी ने गर्भ से आवाज लगाई, माता उठी, तब गोगा जाहरवीर बोले, मां मैं तेरा पुत्र हूं और तेरे गर्भ में हूं। मैं जैसा बोलता हुं वैसा करना। उन्होंने बताया, मां अपने बालों की चोटी से बंधा कलावा खोलकर बैलों के सिंगों में बांध दें, जैसे ही बाछल ने अपने पुत्र गोगा के कहने पर किया, बैल व अन्य लोग भी उठ खड़े हुए।
बता गया है कि तभी से इस धागे को रक्षा के रूप में माना गया है, तभी से बहने अपने भाई के धागा बांध कर उसकी रक्षा की कामना करती है। आपको बता दें आज के दिन छडीयो का मेला भी लगता है, जिसमें गोगा जाहरवीर की पुजा की जाती है तथा भादों की नवमी पर भक्त लोग छड़ी लेकर बांगड़ जो राजस्थान में स्थित है, जहां गोगा जाहरवीर एवं गुरु गोरक्षनाथ जी का प्राचीन मंदिर है।
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