सुभारती विधि महाविद्यालय के बारे में दी गई जानकारी
अनम शेरवानी
नित्य संदेश, मेरठ। स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय के सरदार पटेल सुभारती विधि महाविद्यालय में गत सप्ताह से आयोजित सात दिवसीय अभिविन्यास कार्यक्रम का समापन महाविद्यालय के निदेशक राजेश चन्द्रा (पूर्व न्यायमूर्ति, उच्च न्यायालय, प्रयागराज) के दिशा निर्देशन में एवं संकाय अध्यक्ष प्रो. डॉ. वैभव गोयल भारतीय, के मार्ग दर्शन तथा उज्ज्वल भविष्य के आशीर्वाद के साथ सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम के प्रथम चरण में डॉ. सारिका त्यागी ने नवप्रवेशित विद्यार्थियों को महाविद्यालय की सर्वश्रेष्ठ परम्परा कर्तव्य सर्वोच्च, अधिकार बाद में के विषय पर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत के नागरिक के रूप में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51.। में मौलिक कर्तव्य दिए गए है। जैसे कि भेदभाव रहित समाज या कहें तो सुभारती विश्वविद्यालय अनुच्छेद 51.। मे दिए गए इस कर्तव्य को पूर्ण निष्ठा एवं दृढ़ता से पालन करता है। ‘‘राष्ट्र प्रथम-सदैव प्रथम’’ ध्येय वाक्य देश हित की भावना से परिपूर्ण है तथा इसका पालन दृढ़ से किया जाता है। यदि हम स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय की बात करे तो स्वतन्त्रता सेनानियों को सम्मान देते हुए यहाँ कि प्रत्येक इमारत, हर रास्ता महान एवं वीर तथा सच्चे देश-भक्तों को समर्पित है। संविधान का अनुच्छेद 51.। अपने आस-पास के वातावरण को साफ व स्वच्छ रखने पर जोर देते है, इस बात को ध्यान में रखते हुए सुभारती विश्वविद्यालय का प्रत्येक व्यक्ति पर्यावरण को स्वच्छ रखने तथा उसे सुरक्षित रखना अपना कर्तव्य समझकर पूरा करता है।
कार्यक्रम के दूसरे चरण में डॉ. प्रेम चन्द्र द्वारा विद्यार्थियों को शोध हेतु (विशेषतया-विधि के क्षे़त्र हेतु) विभिन्न साधनों जैसे कि बार एण्ड बेंच, लाइव लॉ, एससीसी ऑनलाइन, नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी, सुप्रीम कोर्ट आब्जर्वर आदि के विषय में विस्तार से बताया । उन्होने विद्यार्थियों पेड सब्सक्रिप्शन तथा फ्री यूज़ वाले दोनों प्रकार के साधनों के विषय में बताते हुए कहा कि इनका प्रयोग कर आप अपने केस कॉमेण्ट मेमोरियल, रिसर्च, आर्टिकल आदि के लिए आवश्यक पाठ्य सामग्री प्राप्त कर सकते हैं और उसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
संकाय अध्यक्ष प्रो. डॉ. वैभव गोयल भारतीय ने विद्यार्थियों को विधि पाठ्यक्रम की आवश्यकता और महत्व बताया। उन्होंने कहा कि आपका सतत् प्रयास आपको अवश्य भावी सफलता प्रदान करेगा। जितना ज्यादा विषय को समझकर पढ़ेगे, उसके नोट्स लघु या विस्तृत किसी भी रूप में बनाएंगे तो वह भविष्य में आपको परेशानी नही आने देगें। यदि आप जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको समय प्रबन्धन आना चाहिए। सात ही उन्होंने कहा कि यदि किसी विषय या मुद्दे पर आप अटक जाते हैं, अथवा आपके मन में यदि कोई संशय है, तो आप अपने अध्यापक से अथवा अपने मेन्टोर से उस पर बात करके उसका निदान प्राप्त कर सकते है। इसके बाद उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि न केवल शैक्षणिक गतिविधियां बल्कि आपको प्रत्येक प्रकार की सांस्कृतिक गतिविधियों, साहित्यिक गतिविधियों तथा शारीरिक या कहिए कि खेल जैसी प्रतिस्पर्धाएं हो आप को उन सब में प्रतिभागिता करनी चाहिए। इसकी अतिरिक्त मूट कोर्ट प्रतियोगिता जैसी सहायक अकादमिक गतिविधियों में प्रतिभागिता करके अपने वक्तृत्व कौशल को निखारने का कार्य भी अवश्य करना चाहिए। अंत में उन्होंने विद्यार्थियों को अनुशासन का महत्व बताते हुए कहा कि कोशिश करिए कभी भी किसी भी प्रकार की कोई शिकायत आपके विरूद्ध प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष किसी भी रूप में न की जाएं। कोशिश कीजिए कि कभी आपका नाम किसी शिकायत में आंतरिक शिकायत प्रकोष्ठ के पास न जाए।
अंत में शिक्षिका आफरीन अल्मास द्वारा विश्वविद्यालय के प्रबंधन तंत्र माननीय कुलपति, मुख्य कार्यकारी अधिकारी तथा सुभारती विधि महाविद्यालय के सभी प्राधिकारियों शिक्षकों तथा विद्यार्थियों का धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम में प्रोफेसर डॉ रीना बिश्नोई, डॉ सारिका त्यागी, डॉ प्रेमचंद, हिना सिसोदिया, अजय राज सिंह, सोनल जैन, अरशद आलम, आशुतोष देशवाल, हर्षित आदि शिक्षक शिक्षिकाएं एवं बड़ी संख्या में सुभारती लॉ कॉलेज के विद्यार्थी उपस्थित रहे।
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