विनित कुमार रॉय
नोएडा। गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज, जिसे आमतौर पर एसिड रिफ्लक्स या जीईआरडी के नाम से जाना जाता है, अब भारत में तेजी से एक आम बीमारी बनती जा रही है, जिससे बहुत लोग प्रभावित हो रहे हैं। जीईआरडी का मुख्य लक्षण लगातार होने वाली जलन (हार्टबर्न) और एसिड का बार-बार गले में आना है। जब पेट का एसिड बार-बार गले की नली में वापस आता है, तो इससे उसकी परत में जलन होती है। यह स्थिति, ज़िंदगी को काफी मुश्किल बना सकती है। कुछ मामलों में, जीईआरडी के कारण लगातार खांसी, गले में खराश, और नींद में खलल भी हो सकता है। जीईआरडी का पता लगाने के लिए आमतौर पर लक्षणों के आधार पर और कुछ जांच, जैसे एंडोस्कोपी, पीएच मॉनिटरिंग और गले के मसल्स की जांच (इसोफेगल मैनोमेट्री), की जाती है। ये टेस्ट रिफ्लक्स की गंभीरता और गले को हुए नुकसान का पता लगाने में मदद करते हैं।
डॉ. विनीत कुमार गुप्ता, डायरेक्टर और हेड ऑफ डिपार्टमेंट, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, यथार्थ अस्पताल, ग्रेटर नोएडा बताते हैं, "जीईआरडी के बढ़ते मामलों को देखते हुए, यह समझना जरूरी है कि हम अपने खाने-पीने और लाइफस्टाइल में बदलाव कर सकते हैं। सही देखभाल और समय पर ध्यान देकर इस परेशानी को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसके अलावा, अगर लंबे समय से एसिडिटी या हार्टबर्न की शिकायत है, तो बिना देरी किए डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। समय रहते इसका इलाज कराने से बड़ी समस्याओं से बचा जा सकता है।" जीईआरडी का इलाज करने के लिए जीवनशैली में बदलाव, दवाओं का इस्तेमाल और कुछ मामलों में सर्जरी की जरूरत हो सकती है। खाने-पीने में बदलाव करना सबसे ज़रूरी है; जैसे ऐसे फूड और ड्रिंक से बचना चाहिए जो एसिड बढ़ाते हैं, जैसे तला-भुना खाना, चॉकलेट, चाय-कॉफी, शराब, और मसालेदार खाना, इससे काफी राहत मिल सकती है।
जीईआरडी के बढ़ते मामलों का एक मुख्य कारण मौजूदा लाइफस्टाइल है। फास्ट फूड और प्रोसेस्ड फूड की आदतों ने ऐसे खाने का चलन बढ़ाया है जो एसिड रिफ्लक्स को बढ़ाते हैं। अरबनाइज़ेशन की वजह से जीवन में शारीरिक गतिविधि कम हो गई है, जिससे वजन बढ़ता है और पेट पर दबाव बढ़ता है। इसके अलावा, काम और निजी जिंदगी के स्ट्रेस से भी एसिड बनने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे जीईआरडी और बढ़ जाता है।
जीईआरडी के लक्षणों और इसके इलाज के तरीकों को समझना जरूरी है। अगर लाइफस्टाइल में बदलाव करें, जैसे सही खाना, वजन कंट्रोल और ध्यानपूर्वक खाने की आदतें अपनाएं, तो इससे लक्षणों में राहत मिलेगी और सेहत भी बेहतर होगी। हालांकि गंभीर मामलों में दवाओं और सर्जरी की भी आवश्यकता हो सकती है, लेकिन ज़रूरी है कि स्ट्रेस, अनहेल्दी खाने की आदतों और आलसी जीवनशैली, जैसी समस्याओं से सावधान रहा जाए।
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