नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ: केरल वर्मा सुभारती कॉलेज ऑफ साइंस, स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय में “सकारात्मक सोच और आध्यात्मिकता की भूमिका: जीवन में सफलता प्राप्त करने हेतु” विषय पर एक अतिथि व्याख्यान का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का उद्देश्य संकाय एवं कर्मचारियों में मानसिक स्वास्थ्य, भावनात्मक संतुलन तथा समग्र विकास को प्रोत्साहित करना था। कार्यक्रम में डॉ. रविन्द्र कुमार जैन, डीन, फैकल्टी ऑफ साइंस, डॉ. महावीर सिंह, निदेशक, दूरस्थ शिक्षा, विभागाध्यक्षों एवं संकाय सदस्यों की गरिमामयी उपस्थिति रही। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रगति जैन के स्वागत भाषण से हुआ, जिसके पश्चात सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई, जिससे कार्यक्रम का वातावरण सकारात्मक एवं आध्यात्मिक हो गया। अतिथि वक्ता के रूप में डॉ. राहुल बंसल, प्रोफेसर एवं सलाहकार, सामुदायिक चिकित्सा विभाग, सुभारती मेडिकल कॉलेज तथा अध्यक्ष, वेलनेस हेल्थ सेंटर, स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय ने व्याख्यान दिया। उन्होंने व्यक्तिगत एवं व्यावसायिक जीवन में सफलता प्राप्त करने हेतु सकारात्मक सोच और आध्यात्मिक संतुलन के महत्व पर प्रकाश डाला।
उन्होंने बताया कि सकारात्मक दृष्टिकोण मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है, आत्मविश्वास एवं सहनशीलता बढ़ाता है तथा प्रभावी निर्णय लेने में सहायक होता है। अपने संबोधन के दौरान डॉ. बंसल ने तनाव प्रबंधन, आंतरिक शांति, भावनात्मक स्थिरता तथा उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने में आध्यात्मिकता की भूमिका को भी रेखांकित किया। यह व्याख्यान अत्यंत प्रेरणादायक एवं संवादात्मक रहा, जिससे प्रतिभागियों को अपने दैनिक जीवन में सकारात्मकता एवं आध्यात्मिक मूल्यों को अपनाने की प्रेरणा मिली। इस सत्र में 40 से अधिक संकाय एवं गैर-शिक्षण कर्मचारियों ने सहभागिता की और विषय की प्रासंगिकता एवं उपयोगिता की सराहना की। कार्यक्रम का समापन डॉ. अश्वनी कुमार द्वारा प्रस्तुत धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें अतिथि वक्ता एवं आयोजकों के प्रयासों की सराहना की गई।
कार्यक्रम का सफल समन्वय डॉ. अश्वनी कुमार एवं सुश्री प्रगति जैन द्वारा किया गया। कुल मिलाकर यह अतिथि व्याख्यान अत्यंत ज्ञानवर्धक एवं प्रेरणादायक रहा, जिसने जीवन में समग्र सफलता प्राप्त करने हेतु सकारात्मक सोच और आध्यात्मिकता के महत्व को सुदृढ़ किया। कार्यक्रम के पश्चात प्रतिभागियों से प्राप्त फीडबैक अत्यंत सकारात्मक रहा। अधिकांश प्रतिभागियों ने व्याख्यान को प्रेरणादायक, उपयोगी एवं वर्तमान समय की आवश्यकताओं के अनुरूप बताया। संकाय एवं गैर-शिक्षण कर्मचारियों ने कहा कि सत्र में साझा किए गए विचारों एवं उदाहरणों ने उन्हें मानसिक शांति, सकारात्मक दृष्टिकोण तथा कार्य-जीवन संतुलन को बेहतर ढंग से समझने में सहायता की। कई प्रतिभागियों ने यह भी व्यक्त किया कि सकारात्मक सोच एवं आध्यात्मिकता से संबंधित सुझाए गए उपाय उनके दैनिक जीवन, कार्यक्षमता और तनाव प्रबंधन में सहायक सिद्ध होंगे। कुल मिलाकर, प्रतिभागियों ने ऐसे और कार्यक्रम भविष्य में आयोजित किए जाने की इच्छा व्यक्त की।
दूसरी ओर, केवीएससीओएस द्वारा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान नई दिल्ली में शैक्षणिक भ्रमण का आयोजन किया गया जिसका मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को फॉरेंसिक विज्ञान के व्यावहारिक एवं अनुप्रयुक्त पहलुओं से परिचित कराना तथा कक्षा में अर्जित सैद्धांतिक ज्ञान को वास्तविक कार्यक्षेत्र से जोड़ना था। इस शैक्षणिक भ्रमण में फॉरेंसिक साइंस विभाग के कुल 3 प्राध्यापक एवं 46 विद्यार्थियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। भ्रमण के दौरान विद्यार्थियों ने AIIMS के तीन प्रमुख एवं अत्यंत महत्वपूर्ण फॉरेंसिक विभागों का अवलोकन किया, जिनमें पोस्टमार्टम एवं एम्बाल्मिंग विंग, डीएनए फिंगरप्रिंटिंग प्रयोगशाला, तथा फॉरेंसिक टॉक्सिकोलॉजी प्रयोगशाला शामिल थीं। पोस्टमार्टम एवं एम्बाल्मिंग विंग में विद्यार्थियों को विशेषज्ञों द्वारा पोस्टमार्टम की प्रक्रिया का प्रत्यक्ष प्रदर्शन कराया गया। इसके साथ ही आधुनिक तकनीक पर आधारित वर्चुअल पोस्टमार्टम के माध्यम से शव परीक्षण की वैज्ञानिक एवं गैर-आक्रामक विधियों की जानकारी दी गई। विद्यार्थियों को पोस्टमार्टम के फॉरेंसिक महत्व, मृत्यु के कारण एवं समय निर्धारण, चोटों की पहचान, तथा आपराधिक जांच में पोस्टमार्टम रिपोर्ट की भूमिका के विषय में विस्तार से समझाया गया। साथ ही पोस्टमार्टम से संबंधित कानूनी औपचारिकताओं, आवश्यक दस्तावेजों तथा नैतिक दायित्वों पर भी विस्तृत व्याख्यान दिया गया।
डीएनए फिंगरप्रिंटिंग प्रयोगशाला के भ्रमण के दौरान विद्यार्थियों को फॉरेंसिक जांच में डीएनए की भूमिका के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की गई। विशेषज्ञों ने डीएनए निष्कर्षण, पीसीआर (PCR), जेल इलेक्ट्रोफोरेसिस तथा डीएनए प्रोफाइलिंग में प्रयुक्त आधुनिक उपकरणों एवं तकनीकों को सरल एवं स्पष्ट भाषा में समझाया। विद्यार्थियों को यह भी बताया गया कि किस प्रकार डीएनए विश्लेषण का उपयोग अपराधी की पहचान, पीड़ित की पुष्टि तथा अन्य विधिक मामलों में साक्ष्य के रूप में किया जाता है। फॉरेंसिक टॉक्सिकोलॉजी प्रयोगशाला में विद्यार्थियों को विभिन्न प्रकार के विषों, उनकी पहचान की विधियों तथा विषविज्ञान विश्लेषण में उपयोग होने वाले उन्नत उपकरणों और विश्लेषणात्मक तकनीकों की जानकारी दी गई। इस दौरान औषधीय विष, कीटनाशक, औद्योगिक रसायन एवं प्राकृतिक विषों से संबंधित व्यावहारिक पहलुओं पर भी प्रकाश डाला गया। समग्र रूप से यह शैक्षणिक भ्रमण विद्यार्थियों के लिए अत्यंत ज्ञानवर्धक, अनुभवात्मक एवं प्रेरणादायक सिद्ध हुआ। इस भ्रमण से विद्यार्थियों को फॉरेंसिक विज्ञान के व्यावसायिक अवसरों, अनुसंधान संभावनाओं तथा वास्तविक कार्यप्रणाली की गहन समझ प्राप्त हुई, जिससे उनके शैक्षणिक एवं करियर विकास को नई दिशा मिली।

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