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Friday, December 19, 2025

राष्ट्रीय चरित्र निर्माण अभियान का गुरुग्राम में विस्तार



नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। राष्ट्रीय चरित्र निर्माण अभियान (रचना) का गुरुग्राम में प्रभावशाली विस्तार तथा स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय, मेरठ में शोध लेखन एवं प्रकाशन कौशल को सुदृढ़ करने हेतु आयोजित सेमिनार- ये दोनों पहल राष्ट्र निर्माण के प्रति संस्थानों की प्रतिबद्धता को सशक्त रूप से दर्शाती हैं।


राष्ट्रीय चरित्र निर्माण अभियान (रचना) का शुभारंभ गुरुग्राम में डॉ. अतुल कृष्ण, संस्थापक, सुभारती समूह, की अध्यक्षता में राजकीय माध्यमिक विद्यालय, बहरामपुर में संपन्न हुआ। उन्मुक्त भारत एवं सुभारती विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित राष्ट्रीय चरित्र निर्माण योजना की तीसरी इकाई गुरुग्राम में आमोद गुप्ता, डॉ. शोभा गुप्ता एवं कर्नल कमल सक्सेना द्वारा प्रारंभ की गई। इसी क्रम में रचना टीम, गुरुग्राम द्वारा राजकीय उच्च विद्यालय, उल्लाहवास में एक प्रेरणादायी कार्यक्रम आयोजित किया गया। विद्यालय की प्रधानाचार्या शालू एवं शिक्षकों द्वारा डॉ. शोभा गुप्ता और आमोद गुप्ता का पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया गया। कार्यक्रम में लगभग 600 विद्यार्थियों एवं शिक्षकों ने उत्साहपूर्वक सहभागिता की। ‘जय हिंद’ के ओजस्वी नारे के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। डॉ. शोभा गुप्ता ने ‘जय हिंद’, ‘वंदे मातरम्’ तथा ‘देश प्रथम, सदैव प्रथम’ जैसे मूल मंत्रों का महत्व बताते हुए नेताजी सुभाष चंद्र बोस सहित स्वतंत्रता संग्राम के वीरों के बलिदान पर प्रकाश डाला और स्वच्छता एवं देशहित में आचरण अपनाने का आह्वान किया। आमोद गुप्ता ने पर्यावरण संरक्षण पर बल देते हुए जन्मदिन पर एक पौधा लगाने का संकल्प दिलाया तथा स्वदेशी उत्पादों के उपयोग के महत्व को प्रभावी उदाहरणों से रेखांकित किया। कार्यक्रम के उपरांत रचना गुरुग्राम टीम ने राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, गाड़ौली खुर्द, गुरुग्राम में कर्नल कमल सक्सेना के नेतृत्व में एक और प्रभावशाली कार्यक्रम आयोजित किया।




इसी क्रम में, स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय, मेरठ के अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ द्वारा “स्कोपस, वेब ऑफ साइंस एवं पबमेड सूचीबद्ध पत्रिकाओं में शोध पत्र कैसे लिखें एवं प्रस्तुत करें” विषय पर एक व्यापक सेमिनार आयोजित किया गया। सेमिनार का उद्देश्य शिक्षकों एवं विद्यार्थियों में गुणवत्तापूर्ण शोध लेखन और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशन से जुड़े व्यावहारिक कौशल को सुदृढ़ करना था। चिकित्सा, दंत चिकित्सा, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, नर्सिंग, सहायक एवं स्वास्थ्य विज्ञान तथा औषधि विज्ञान संकायों के स्नातकोत्तर, चिकित्साशास्त्र स्नातकोत्तर, कनिष्ठ एवं वरिष्ठ शोधार्थी तथा विज्ञान स्नातकोत्तर विद्यार्थियों ने सहभागिता की। सत्र का संचालन डॉ. अनिरुद्ध श्रीवास्तव, प्रकाशन प्रभारी, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ द्वारा किया गया, जिसमें शोध पांडुलिपि संरचना, उपयुक्त पत्रिका चयन, ऑनलाइन प्रस्तुतीकरण, सहकर्मी समीक्षा, प्रकाशन नैतिकता, मौलिकता एवं साहित्यिक चोरी से बचाव पर विस्तार से मार्गदर्शन दिया गया।

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