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Wednesday, December 3, 2025

अदना की कुछ कविताएँ परंपरा के खिलाफ हैं: प्रोफेसर असलम जमशेद पुरी


चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी के उर्दू डिपार्टमेंट में “बर्ग-ए-आवारा” का किया गया विमोचन 

नित्य संदेश ब्यूरो 
मेरठ। अदना इश्क़ाबादी ने उर्दू ग़ज़ल को उस लेवल पर ले जाने की कोशिश की, जहाँ सोच की एक नई दुनिया की संभावनाएँ थीं। मुकर्रम साहब एक उस्ताद शायर थे, जिन्होंने सैकड़ों शायर बनाए। वह अपना फ़र्ज़ समझते थे। अदना ने ग़ज़लों को एक तरफ़ रचनात्मक खूबसूरती दी तो दूसरी तरफ़ उन्हें असलियत का आईना बनाया। ये शब्द थे प्रो. असलम जमशेदपुरी के, जो डॉ. मुकर्रम अदना इश्क़ाबादी की याद में उनकी जयंती पर उर्दू विभाग में आयोजित उनके काव्य संग्रह “बर्ग-ए-आवारा” के विमोचन समारोह में अपना अध्यक्षीय वक्तव्य दे रहे थे। 

उन्होंने आगे कहा कि अदना इश्क़ाबादी की लिखी ग़ज़लों का आकलन किया जाना चाहिए। उनकी ग़ज़लों में जज़्बात ज़ाहिर होने चाहिए। उनकी कुछ नज़्में रिवाज़ के ख़िलाफ़ भी हैं। इससे पहले, कार्यक्रम की शुरुआत मुहम्मद नदीम ने पवित्र कुरान की तिलावत से की। मशहूर शायर वारिस वारसी ने नात और फरहत अख्तर ने अदना इश्काबादी की ग़ज़ल पेश की। कार्यक्रम की अध्यक्षता मशहूर शायर असरार-उल-हक असरार ने की। युवा नेता आदिल चौधरी और शहर काज़ी ज़ैनुल-सल्किन ने मुख्य अतिथि और प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस गाज़ी, मशहूर शायर शादान फलावदी और फ़ैज़ महमूद ने विशिष्ट अतिथिगण के तौर पर हिस्सा लिया। स्वागत भाषण डॉ. शादाब अलीम ने, पुस्तक परिचय डॉ इरशाद स्यानवी ने, संचालन दानिश ग़ज़ल और आभार फख़री मेरठी ने किया।

असरार-उल-हक़ असरार ने कहा कि अदनी इश्क़ाबादी ने अपनी ज़िंदगी के उतार-चढ़ाव और खोज को अपनी शायरी में उतारा है। अदना बहुत अच्छे शायर और एक बेहतरीन पर्सनैलिटी थे। उनका अपना स्टाइल था। डॉ. राम गोपाल भारती ने कहा कि डॉ. अदनी इश्क़ाबादी हिंदी और उर्दू दोनों में पॉपुलर थे और दोनों भाषाओं के चाहने वालों में उनका बहुत सम्मान था। इंसान को अगर गरीबी मिलती है, तो उसे शायरी जैसी दौलत भी मिलती है, जो उसे शोहरत के आसमान पर ले जाती है। डॉ. अदना की यह भी खासियत थी कि वे हमेशा सादगी से अपनी बात कहते थे। ममलुक-उर-रहमान बर्क ने कहा कि उर्दू आजकल खत्म हो रही है। हमें इसे बचाना होगा ताकि यह खूबसूरत भाषा बची रहे। अदना साहब की कविताएँ आज के हालात के हिसाब से सही हैं। 

डॉ. इरशाद स्यानवी ने कहा कि डॉ. अदना इश्क़ाबादी की ग़ज़ल में परंपरा की रक्षा, देशभक्ति की भावना और समाज की कड़वाहट साफ़ दिखती है। उनकी कई कविताएँ हमें ग़ज़ल की कला की बारीकियों से वाकिफ़ कराती हैं। सैकड़ों शागिर्दों के उस्ताद डॉ. अदना ने अपनी शायरी के लिए किसी से तारीफ़ के मोहताज नहीं हैं। इसीलिए मेरठ के कुछ अहम शायरों में उनकी जगह अनोखी लगती है। आदिल चौधरी ने कहा कि डॉ. अदना इश्क़ाबादी ऐसी साहित्यिक हस्ती का नाम है जिनकी सलाह पर हम आज भी अपने घरों में साहित्यिक गोष्ठियां कर रहे हैं।

शदान फलावादी ने कहा कि अदना मेरे पुराने दोस्तों और करीबी साथियों में से एक थे। उन्होंने हमेशा मेरा स्वागत किया। उनके सभी शागिर्दों को हर साल उनकी याद में एक फंक्शन ऑर्गनाइज़ करना चाहिए ताकि उनकी याद हमेशा हमारे दिलों में बनी रहे।

शहर काज़ी ज़ैन-उल-सल्किन ने कहा कि मुझे बहुत खुशी है कि उनके स्टूडेंट्स ने उर्दू डिपार्टमेंट के साथ मिलकर यह खूबसूरत प्रोग्राम ऑर्गनाइज़ किया। एक अच्छे टीचर की पहचान यह होती है कि उनके जाने के बाद भी उनके स्टूडेंट्स उनके बताए रास्ते पर चलते रहें, जिसका यह आज एक खूबसूरत उदाहरण है।

अफाक अहमद खान ने कहा कि अदना की एक सच्ची पर्सनैलिटी थी जिसे भुलाया नहीं जा सकता और अदना ऐसे शायर थे कि वे कभी किसी शोहरत के पीछे नहीं भागे। उन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी सादगी से जी। ऐसे लोग बहुत कम देखने को मिलते हैं। फैज़ महमूद ने कहा कि प्रोफेसर असलम जमशेदपुरी किसी न किसी तरह से पूरे उर्दू डिपार्टमेंट में उर्दू को बढ़ावा देने के लिए काम करते रहते हैं और उर्दू के महान लोगों को याद करके उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं। इस मौके पर शाहिद चौधरी ने डॉ. अदना इश्काबादी पर एक बेहतरीन पेपर पढ़ा। 

इसके अलावा, डॉ. यूनुस गाजी, फखरी मेरठी ने भी अपनी कविताओं के ज़रिए अदना को श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर डा. आसिफ अली, डा. अलका वशिष्ठ, इंजीनियर रिफ्फत जमाली, अनीस मेरठी, शहनाज परवीन, उजमा सहर, शाकिर मतलूब, जीशान अदना, एडवोकेट ओमकार गुलशन, राजेंद्र नागर, सनूर चौहान, आसिफ अली, ओबैद मेरठी, दानिश अनवर, यूनुस वफा, रमीज मेरठी, मंतिशा चौहान, अफरा सैफी व छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

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