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Saturday, November 8, 2025

कुत्ता और इंसान — एक ही दिव्य तत्व के प्रतीक



प्रो (डॉ.) अनिल नौसरान
नित्य संदेश। जब हम किसी कुत्ते की आँखों में देखते हैं, तो हमें सिर्फ एक जानवर नहीं दिखता — हमें निर्मलता, निष्ठा और करुणा का सजीव रूप दिखता है। हम और वे — दोनों एक ही दिव्य तत्व के अंश हैं, जिन्हें प्रकृति ने प्रेम और सह-अस्तित्व के अदृश्य सूत्र से जोड़ा है।

कुत्ता हमारी भाषा नहीं बोलता, पर उसकी भौंकना भी एक भाषा है*— भावनाओं की, डर की, खुशी की, भूख की और अपनापन की। अगर हम दिल से सुनना सीखें, तो समझ पाएँगे कि वह क्या कहना चाहता है। हर भौंक में एक संदेश है, हर पूंछ हिलाने में एक भावना छिपी है। कुत्ते सिर्फ साथी नहीं होते, वे दया, निष्ठा और निस्वार्थ प्रेम के शिक्षक हैं। वे न आपके रूप को देखते हैं, न आपके पैसे को, न आपकी हैसियत को। वे आपको उसी रूप में प्यार करते हैं जैसे आप हैं —आपके सुख में, आपके दुःख में, आपके अकेलेपन में।

कुत्ता इंसान का दिल बहुत जल्दी ठीक कर देता है।
अगर कभी जीवन में निराशा या अवसाद महसूस हो, तो किसी कुत्ते के साथ समय बिताइए। उसका निर्मल स्नेह आपको अंधकार से निकालकर उजाले की ओर ले जाएगा। कुत्ते आपको कभी उदासी में नहीं धकेलते — वे तो हमेशा मुस्कान का कारण बनते हैं। वे असीम निष्ठावान, अद्भुत रूप से कोमल, और शब्दों के बिना ईमानदार होते हैं। वे आपके घर की, आपके भावनाओं की और कई बार आपकी आत्मा की भी रक्षा करते हैं।

हम सबको याद रखना चाहिए —
 उन्हें छेड़ो मत।
 उन्हें मारो मत।
 उन्हें नुकसान मत पहुँचाओ।

कुत्ते अकेलेपन में नहीं जी सकते — उन्हें भी प्यार, अपनापन और साथ की आवश्यकता होती है, जैसे हमें होती है।

आओ, हम करुणा के साथ जियें।
आओ, हम उनके साथ इस धरती को साझा करें।
क्योंकि जीवन के इस महान संतुलन में सह-अस्तित्व कोई विकल्प नहीं, बल्कि एक दिव्य जिम्मेदारी है।

जब आप किसी कुत्ते से प्रेम करते हैं, तो आप सिर्फ एक जानवर को नहीं, बल्कि उस सृजनहार का सम्मान करते हैं जिसने हर प्राणी में प्रेम का अंश रखा है।

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