नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत प्रशिक्षण महानिदेशालय (डीजीटी) ने ऑटोडेस्क के साथ एक औपचारिक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।
इस साझेदारी का उद्देश्य देशभर के राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थान (एनएसटीआई) और औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) के शिक्षकों एवं प्रशिक्षकों में डिजिटल डिज़ाइन एवं मेक स्किल्स को बढ़ावा देना है। इस पहल के माध्यम से प्रशिक्षकों और शिक्षकों की डिजिटल क्षमता को सशक्त किया जाएगा, जिससे विद्यार्थियों में रोजगार से जुड़ी क्षमताओं का विकास हो सकेगा और भारत की कार्यशक्ति को आर्किटेक्चर इंजीनियरिंग, मैन्युफैक्चरिंग और कंस्ट्रक्शन जैसे क्षेत्रों की बदलती जरूरतों के अनुरूप तैयार किया जा सकेगा। यह समझौता ज्ञापन आयोजित एक समारोह के दौरान संपन्न हुआ, जिसमें देवश्री मुखर्जी (सचिव, कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय), सुनील कुमार गुप्ता (डिप्टी डायरेक्टर, प्रशिक्षण महानिदेशालय (डीजीटी)) तथा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। ऑटोडेस्क की ओर से इस अवसर पर एंड्रयू एनाम्मॉस्ट् (प्रेसिडेंट एंड सीईओ), स्टीव ब्लम (एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट एवं चीफ़ ऑपरेटी ंग ऑफिसर), हरेश खूबचंदानी (वीपी, एपीएसी एंड जापान) और कमोलिका गुप्ता पेरेस (वाइस प्रेसिडेंट, इंडिया एंड सार्क) उपस्थित रहीं।
इस साझेदारी पर बोलते हुए ऑटोडेस्क के प्रेसिडेंट एंड सीईओ एंड्रयू एनाग्मॉस्ट् ने कहा, "ऑटोडेस्क को भारत के उस विज़न का हिस्सा बनने पर गर्व है, जिसमें देश को कुशल प्रतिभा के ग्लोबल लीडर के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य है। हमारी यह साझेदारी शिक्षकों और विद्यार्थियों को एडवांस्ड डिजिटल टूल्स और उद्योग से जुड़े व्यावहारिक शिक्षण अनुभवों से सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, ताकि वे तेजी से बदलती दुनिया में सफल हो सकें। जैसे-जैसे एआई डिज़ाइन और मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र को बदल रहा है, वैसे-वैसे एआई-प्रशिक्षित प्रतिभा की मांग पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है। एडवांस्ड डिज़ाइन और मेक टेक्नोलॉजी में भारत के कौशल विकास को मजबूत करके, हम ऐसी वर्कफोर्स तैयार करने में सहयोग कर रहे हैं जो आज और भविष्य दोनों के अवसरों के लिए तैयार है।"
इस अवसर पर देवश्री मुखर्जी (सचिव, कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय) ने कहा, "ऑटोडेस्क के साथ यह साझेदारी एनएसटीआई और आईटीआई के प्रशिक्षकों की क्षमता को अत्यधिक बढ़ाएगी, क्योंकि इसके माध्यम से एडवांस्ड डिज़ाइन तकनीकों को व्यावसायिक शिक्षा में शामिल किया जा सकेगा। हमारा उद्देश्यएकेडेमिक लर्निंग और रियल-वर्ल्ड इन्डस्ट्री प्रैक्टिसिस के बीच की खाई को पाटना है, ताकि हमारे प्रशिक्षक ऐसा प्रशिक्षण प्रदान कर सकें जो वैश्विक गुणवत्ता मानकों के अनुरूप हो। यह साझेदारी भारत की उस यात्रा को और मज़बूती देगी, जिसमें हम देश को कुशल और टेक्नोलॉजी ड्रिवन प्रतिभा के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करना चाहते हैं।"
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