Breaking

Your Ads Here

Thursday, September 11, 2025

राही मासूम रज़ा ने एक साझा सभ्यता का विकास किया: डॉ. मुश्ताक सदफ़



-सीसीएस विवि के उर्दू विभाग में "राही मासूम रज़ा: कला और पहलू" विषय पर ऑनलाइन कार्यक्रम

नित्य संदेश ब्यूरो 
मेरठ। साहित्य का विषय हमेशा महत्वपूर्ण होता है और आज का विषय भी महत्वपूर्ण है। राही मासूम रज़ा उर्दू और हिंदी साहित्य में वाकई एक अहम नाम हैं। प्रोफ़ेसर असलम जमशेदपुरी और डॉ. मुश्ताक सदफ़ ने राही मासूम रज़ा के बारे में बहुत अच्छी और ज्ञानवर्धक चर्चा की।

आयुसा और उर्दू विभाग द्वारा आयोजित "राही मासूम रज़ा: कला और पहलू" विषय पर अपना अध्यक्षीय भाषण दे रहे प्रसिद्ध आलोचक प्रोफेसर सगीर अफ़राहीम ने कहा कि राही मासूम रज़ा विविध आयामों वाले व्यक्तित्व थे। उन्होंने अफ़साने के साथ-साथ बेहतरीन शायरी भी लिखी और फिल्मों के लिए संवाद भी लिखे। डॉ. मुश्ताक सदफ़ [अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय] ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। इस अवसर पर प्रोफेसर असलम जमशेदपुरी ने कहा कि हमारे साहित्य में ऐसे बहुत से लोग हैं, जिन्हें हम भूल चुके हैं। राही मासूम रज़ा कोई साधारण व्यक्ति नहीं थे। प्रेमचंद के बाद वे ही एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने उर्दू और हिंदी में व्यापक लेखन किया। 

उन्होंने कविताएँ लिखीं, फ़िल्में लिखीं, नाटक लिखे और "महाभारत" धारावाहिक ने उन्हें प्रसिद्धि की ऊँचाइयों पर पहुँचाया। कार्यक्रम में डॉ. आसिफ अली, डॉ. शादाब अलीम, डॉ. अलका वशिष्ठ, डॉ. वसी आज़म अंसारी, डॉ. इरशाद सियानवी, डॉ. ज़ेबा नाज़, शाहे ज़मन, इमामुद्दीन, मुहम्मद शमशाद और अन्य छात्र जुड़े थे।

No comments:

Post a Comment

Your Ads Here

Your Ads Here