नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। स्त्रियों के स्वास्थ्य की बात करें तो चुप्पी हमेशा लाभकारी नहीं होती। गाइनोकोलॉजिकल कैंसर जिसमें गर्भाशय, अंडाशय, गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स), योनि और वल्वा का कैंसर शामिल है। अक्सर बिना किसी स्पष्ट लक्षण के शुरू होते हैं। शुरुआती चरणों में इन बीमारियों के लक्षण इतने सूक्ष्म होते हैं कि महिलाएं उन्हें नजरअंदाज कर देती हैं। जब तक असामान्य रक्तस्राव, पेट फूलना या पेल्विक दर्द जैसे स्पष्ट संकेत दिखाई देते हैं, तब तक बीमारी बढ़ चुकी होती है।
मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल वैशाली के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी (गायनेकोलॉजी) विभाग की डायरेक्टर डॉ. स्वस्ति ने बताया कि* “यही कारण है कि केवल लक्षणों के आधार पर डॉक्टर से संपर्क करना जोखिमभरा हो सकता है। आज भी कई महिलाएं मानती हैं कि जब तक कोई तकलीफ महसूस नहीं होती, तब तक गायनेकोलॉजिस्ट से मिलना जरूरी नहीं है। लेकिन सच्चाई यह है कि हर गाइनोकोलॉजिकल कैंसर शुरुआती चेतावनी नहीं देता। जैसे, अंडाशय का कैंसर ‘साइलेंट किलर’ के नाम से जाना जाता है क्योंकि इसके शुरुआती लक्षण मामूली होते हैं और आमतौर पर अन्य छोटी-मोटी समस्याओं के रूप में देखे जाते हैं।“
रूटीन स्क्रीनिंग और नियमित गाइनोकोलॉजिकल चेक-अप विशेष रूप से सर्वाइकल कैंसर जैसे कुछ कैंसर को लक्षणों के प्रकट होने से पहले ही पहचानने में मदद करते हैं। पाप स्मीयर और एचपीवी टेस्ट जैसे जांच प्रक्रियाओं ने उन देशों में सर्वाइकल कैंसर की दर को कम किया है, जहां एचपीवी वैक्सीनेशन और नियमित स्क्रीनिंग आम है।
डॉ. स्वस्ति ने आगे बताया कि “इसके साथ ही, व्यक्तिगत और पारिवारिक चिकित्सा इतिहास को जानना भी उतना ही जरूरी है। जिन महिलाओं के परिवार में पहले अंडाशय, स्तन या गर्भाशय के कैंसर का इतिहास रहा हो, उनमें अनुवांशिक जोखिम हो सकता है, जिससे समय से निगरानी और जांच की जरूरत और भी बढ़ जाती है।एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज़) के बाद महिलाएं यह मान लेती हैं कि अब उन्हें नियमित गाइनोकोलॉजिकल देखभाल की आवश्यकता नहीं है, जबकि यह सही नहीं है। उम्र बढ़ने के साथ गाइनोकोलॉजिकल कैंसर का खतरा भी बढ़ता है।“
इसलिए, महिलाओं को लक्षणों का इंतजार नहीं करना चाहिए, बल्कि अपने डॉक्टर से मिलकर अपनी उम्र, स्वास्थ्य इतिहास और व्यक्तिगत जोखिम के आधार पर उपयुक्त स्क्रीनिंग योजना पर चर्चा करनी चाहिए। शुरुआती चरण में पहचाने जाने पर कई गाइनोकोलॉजिकल कैंसर का इलाज संभव होता है — और कई मामलों में पूरी तरह ठीक भी किया जा सकता है। जागरूकता, रोकथाम और नियमित जांच — यही एक महिला की सबसे बड़ी सुरक्षा है।
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