नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम
एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के बाद उपभोक्ताओं को मिलने वाले
विशेष लाभ का पूरे पृष्ठ का विज्ञापन प्रकाशित होने से प्रदेश के बिजली
कर्मचारियों, जूनियर
इंजीनियरों और अभियंताओं में भारी आक्रोश व्याप्त हो गया है। संघर्ष समिति ने 05 जुलाई को प्रांतव्यापी विरोध दिवस मनाने का ऐलान
किया है।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के केन्द्रीय पदाधिकारियों ने कहा कि "अब हर घर रोशन-उतर प्रदेश" के
शीर्षक से प्रदेश सरकार द्वारा जारी पूरे पृष्ठ का विज्ञापन तमाम अंतर्विरोधों से
भरा हुआ है। संघर्ष समिति ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है
कि वे निजीकरण का अन्तिम फैसला लेने से पहले एक बार संघर्ष समिति को अपना पक्ष
रखने का अवसर दें। संघर्ष समिति ने आशा व्यक्त की है कि सही बात जानने के बाद
मुख्यमंत्री निजीकरण के नाम पर लाखों करोड़ रुपए की लूट नहीं होने देंगे। संघर्ष समिति ने कहा है कि विज्ञापन में निजीकरण के बाद विश्वसनीयता के उल्लेख
से यह स्पष्ट हो जाता है कि पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन ने विश्वसनीयता खो दी है।
कितनी विडम्बना है कि ऐसे में निजीकरण की लूट की प्रक्रिया भी इसी अविश्वसनीय
प्रबंधन द्वारा चलाई जा रही है। उन्होंने बताया कि विज्ञापन में एक ओर वर्ष 2012-17 के दौरान बिजली के सुधार
कार्यक्रम लिखे है, दूसरी ओर 2017 से आज तक बिजली व्यवस्था में हुए तमाम उल्लेखनीय
सुधार गिनाए गए है। आश्चर्य की बात है कि सरकारी क्षेत्र में उल्लेखनीय सुधार
बताने वाले इसी विज्ञापन में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत
वितरण निगम के निजीकरण के बाद उपभोक्ताओं को मिलने वाले विशेष लाभ गिनाए गए हैं।
संघर्ष समिति ने कहा कि इस विज्ञापन से ऐसा लगता है कि 42 जनपदों की लाखों करोड़ रुपए की परिसंपत्तियों को
कौड़ियों के मोल बेचने में लगे पॉवर कारपोरेशन और शासन के कुछ बड़े अधिकारी, जिनकी निजी घरानों के साथ मिली भगत है, प्रदेश के मुख्यमंत्री की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस
की नीति की सरे आम धज्जियां उड़ाने में सफल हो गए हैं। संघर्ष समिति ने 05 जुलाई को प्रांतव्यापी विरोध
दिवस मनाने के ऐलान करते हुए कहा है कि 05 जुलाई को सभी जनपदों और परियोजनाओं पर व्यापक विरोध प्रदर्शन आयोजित किया
जाएगा, जिसमें शत प्रतिशत बिजली कर्मी
सम्मिलित होंगे। इन सभाओं में आम घरेलू उपभोक्ताओं और किसानों को भी बुलाया जाएगा, जिससे उन्हें
निजीकरण के बाद की वास्तविकता से अवगत कराया जा सके।
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