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Monday, July 14, 2025

धर्म और राजनीति का मेल समाज के लिए घातक: आचार्य राधाकृष्ण मनोरी



नित्य संदेश ब्यूरो 
मेरठ। रामसहाय इंटर कॉलेज के सभागार में विश्व गीता संस्थान मयराष्ट्र द्वारा आयोजित श्रीगीता मानस सम्मेलन को विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय पदाधिकारी तथा विश्व गीता संस्थान के संस्थापक प्रख्यात विद्वान आचार्य राधाकृष्ण मनोडी ने मुख्य वक्ता के नाते मेरठ के प्रबुद्ध नागरिकों को संबोधित किया।

कहा कि धर्म और राजनीति के मेल से समाज की बहुत बड़ी हानि होती है, समाज हमेशा अधिक भ्रमित रहता है। सत्ता जब धर्म के ऊपर प्रभावी होती है तो धर्म का कोई महत्व नहीं रह जाता है। जब भी धर्माचार्य या संत सत्ता के सामने झुक जाते हैं या सत्ता की परिक्रमा करने में लग जाते हैं तो उनका सत्व स्वत: ही समाप्त हो जाता है। न वे सत्याग्रह कर सकते हैं और न समाज के लिए संघर्ष ही कर सकते हैं। समाज को एकता के सूत्र में पिरोने का एक ही माध्यम है श्रीमद्भगवद्गीता के उपदेशों का अनुपालन करना। आचार्य मनोडी ने देश भर के धर्माचार्यों का आवाहन करते हुए कहा कि हिंदू धर्म के शाश्वत मूल्यों को पहचाने, समझें और समाज को हर प्रकार से जागरूक करें जिससे वह बिखराव और पतन से बच सके।उन्होंने कहा कि विश्व गीता संस्थान का एक ही उद्देश्य है कि देश के नागरिकों को सुपथ पर ले जाना जिससे हर प्रकार से समाज का कल्याण,समाज की उन्नति हो। सम्मेलन का प्रारंभ योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण एवं श्रीमद्भगवद्गीता के समक्ष दीप प्रज्वलित कर वैदिक स्वस्तिवाचन से हुआ।
इस अवसर पर श्रीगीता स्वाध्याय, श्री रामचरितमानस का स्वाध्याय तथा संकीर्तन का विशेष आयोजन किया गया। तत्पश्चात अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवयित्री तुषा शर्मा द्वारा सुंदर भजनों के साथ श्रीहरि संकीर्तन किया गया जिसमें सभी ने सामूहिक भाग लिया। कार्तिक सिंह एवं कीर्ति उपाध्याय द्वारा राधा कृष्ण के स्वरूप में नृत्य की सुंदर प्रस्तुति हुई। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद के अध्यक्ष तथा सम्मेलन की अध्यक्ष डॉo सुशील कुमार सिंह ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता एवं रामचरित मानस हर विद्यालय में संगोष्ठी व्याख्यान तथा प्रतियोगिताएं आयोजित करें जिससे शिक्षण संस्थान प्रेरणा के केंद्र बन सकें। संस्कारों के क्षरण को रोका जा सके तभी आज चारों ओर से हो रहे सांस्कृतिक आक्रमण को हम गीता के माध्यम से रोक सकते हैं। 

उत्तर प्रदेश संस्कृत अकादमी के पूर्व अध्यक्ष तथा चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय संस्कृत विभाग के समन्वय डॉo वाचस्पति मिश्र ने कहा कि इस देश की प्रगति का एकमात्र उपाय है फिर से गुरुकुल परंपरा पर केंद्रित शिक्षा होनी चाहिए। तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालय आज भी हमको याद दिलाते हैं कि सारे विश्व के छात्र अध्ययन और शोध के लिए भारत में ही आते थे। किंतु आज वैसा वातावरण पुनः हम सबको सामूहिक प्रयास से तैयार करना होगा।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहविभाग संघ चालक विनोद भारतीय, विश्व गीता संस्थान के प्रदेश उपाध्यक्ष श्री विनोद शर्मा ने भी अपने विचार रखे।इस अवसर पर प्रांतीय कार्याध्यक्ष डॉo जितेंद्र त्यागी ने सभी अतिथियों का स्वागत सम्मान किया।

अध्यक्ष डॉo सुधांशु अग्रवाल ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन विश्वविख्यात कवयित्री तुषा शर्मा ने किया और संस्थान के अभियान गीत से समापन किया। इस अवसर पर डॉo विनोद अग्रवाल,सुमित मिश्रा पार्षद, विवेक शर्मा, हरेंद्र मोरल, नरेंद्र राष्ट्रवादी, नरेश उपाध्याय, सुमनेश सुमन, नंद किशोर भट्ट, योगेंद्र सिंह,चंद्रशेखर मयूर राकेश गॉड अनुज वशिष्ठ वीरेंद्र शर्मा बिल्लू,आलोक सिसोदिया आर.के. भटनागर डॉo आर.के. शर्मा,कुसुम लता सिंह, अंजली सिंह चौधरी, मीनू चौधरी श्याम सुंदर शर्मा की विशेष उपस्थिति रही।

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