नित्य संदेश।
नाचने लगे किसान नाचते खेल खलिहान
लहलहाएंगे फसले भरेंगे खूब धन-दान
जगाता है यह आशा , बरसता है सावन
रहेगा सुखद साल कटेगा सुखमय जीवन
आशा है अमर धन सजेगा सुखी संसार
ऐसी आई है यह प्यारी सावन की बहार।1
अब होगी चारों ओर हरियाली ही हरियाली
तरसते तकते प्यासे चकोर की खुशहाली
वो भी अब हर्षाएगा सजेगा अब सीप मोती
देखेगा सपना किसान खरीदेगा कुर्ता- धोती
अब की करेगा किसान छत-छपरा बैलों का
फिर जो बचेगा उतरेगा वो किसान कर्जे का।2
ऐसी आई हैं यह प्यारी सावन की बहार.........
बहारों फूल बरसाओ आई सावन की बहार
लेकर मेरे सपनों की आई खुशियां उपहार
सजेगी यह फसले, फूले फलेगी सदाबहार
धरती उजाएंगी सोना, हस्ती खेत घर -बहार
झूले झूलने-झूलाने की ये सावनी ऋतु गुहार ।3
ऐसी आई हैं यह प्यारी सावन की बहार.......
कवियत्री
आरती दुबे
लखनऊ, उत्तर प्रदेश
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