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Monday, June 16, 2025

पत्रकार से बदसलूकी, थाना प्रभारी पर गंभीर आरोप, ऑल इंडिया जर्नलिस्ट यूनियन ने को सौंपा ज्ञापन

 


नित्य संदेश ब्यूरो

मेरठ। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला अब खुलकर सड़कों और थानों तक पहुंच गया है। थाना भावनपुर प्रभारी कुलदीप सिंह पर स्थानीय पत्रकार अंकुर शर्मा के साथ अभद्रता, धमकी और मीडिया सामग्री छीनने की कोशिश जैसे गंभीर आरोप लगे हैं। इस घटना से मेरठ सहित पूरे पत्रकार समुदाय में गहरा आक्रोश फैल गया है।


इस मामले में ऑल इंडिया जर्नलिस्ट यूनियन ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को एक लिखित शिकायत पत्र सौंपा है थाना प्रभारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। पत्रकार अंकुर शर्मा के अनुसार, जब वह एक समाचार संबंधी कवरेज के लिए थाना भावनपुर पहुंचे, तो थाना प्रभारी ने न केवल उनके साथ गाली-गलौज की, बल्कि उन्हें जेल में बंद करने की धमकी भी दी। थाना प्रभारी ने कहा, अगर थाने के अंदर फिर आए तो बंद कर दूंगा। पत्रकारिता करना भूल जाओगे। तुम्हारे पास जो मीडिया सामग्री है, उसे तोड़ दूंगा। थाने के आस-पास भी दिखे तो अंजाम भुगतना पड़ेगा। पत्रकार संगठनों का कहना है कि यह घटना केवल एक व्यक्ति पर हमला नहीं, बल्कि मीडिया की स्वतंत्रता और गरिमा को कुचलने का प्रयास है। यूनियन के अनुसार, थाना प्रभारी का यह रवैया दर्शाता है कि कुछ पुलिस अधिकारी मीडिया को दबाने, सच्चाई छुपाने, और सरकार की छवि खराब करने की साजिश रच रहे हैं।


पत्रकार यूनियन का ऐलान, नहीं रुकी बदसलूकी, होगा बड़ा आंदोलन

ऑल इंडिया जर्नलिस्ट यूनियन ने चेतावनी दी है कि यदि थाना प्रभारी कुलदीप सिंह पर 48 घंटे के भीतर उचित कार्रवाई नहीं हुई, तो जिले भर के पत्रकार सड़क पर उतरेंगे, और जिला मुख्यालय पर जोरदार प्रदर्शन किया जाएगा।


पत्रकारिता अपराध नहीं, लोकतंत्र की रीढ़ है

पत्रकार अंकुर शर्मा ने एसएसपी से न्याय की गुहार लगाते हुए कहा कि सच्चाई को उजागर करना अपराध नहीं है। अगर पुलिस ही पत्रकारों को धमकाने लगे तो लोकतंत्र की रीढ़ ही टूट जाएगी। जहां एक ओर पत्रकार संगठनों ने एक सुर में थाना प्रभारी की निलंबन और जांच की मांग उठाई है, वहीं दूसरी ओर जिला प्रशासन अब तक मौन मुद्रा में है। ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि क्या प्रशासन जानबूझकर ऐसे अधिकारियों को संरक्षण दे रहा है?


जनता की आवाज दबाने की कोशिश को सफल नहीं होने देंगे: पत्रकार संगठन

इस प्रकरण ने साफ कर दिया है कि अगर पत्रकारों की आवाज को दबाने का प्रयास किया गया, तो देशभर के पत्रकार एकजुट होकर सरकार और प्रशासन को आंदोलन के ज़रिए जवाब देंगे। यह कोई मामूली घटना नहीं, बल्कि लोकतंत्र पर हमला है।

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