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त्याग, धैर्य, दयालु परमधाम,
उच्च मर्यादा पुरुषोत्तम राम।
श्रीराम आदर्शचरित्र रामायण,
पुत्र, भ्राता कर्तव्य परायण।।
तीनों माता को देते सम्मान,
पिता वचन का रखते मान।
वन जाकर, किया निवास,
कष्टों में भी धारते विश्वास।।
सीताहरण से व्याकुल मन,
साथी बने वानर, सब जन।
हनुमान लंका को जलाए,
श्री राम, रावण को हराए।।
धर्मशील श्री राम जी तारक,
बलिष्ठ दुष्ट अधम संहारक।
विजयी लौटे अयोध्या धाम,
सीता रानी, राजा श्री राम।।
प्रजावत्सल, न्यायकारी काम,
सत्य महिमा, उपकारी नाम।
जपते चलिए सुबह और शाम,
जय श्रीराम जय-जय श्रीराम।।
सपना सी.पी. साहू 'स्वप्निल'
इंदौर (म.प्र.)
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