-गन्ने में पायरिला तथा
टॉप बोरर के संक्रमण की प्राप्त हो रही सूचनाएं
राहुल ठाकुर
नित्य संदेश, मेरठ। प्रदेश की पेड़ी गन्ने एवं शरदकालीन बुआई के अन्तर्गत पौधा फसल में पायरिला एवं टॉप बोरर का प्रभाव देखे जाने और इससे विभिन्न क्षेत्रों के किसानों की चिन्ता से नवागन्तुक आयुक्त, गन्ना एवं चीनी प्रमोद कुमार उपाध्याय ने अवगत कराया। बताया कि सामान्यतया यह समय टॉप बोरर के प्रथम व द्वितीय बू्रड का है, इसी प्रकार पायरिला का भी असर देखा जा रहा है, इसके साथ उसका परजीवी कीट भी दिखाई दे रहा है और प्रभावी नियंत्रण इसके परजीवी कीट द्वारा हो सकता है, जो स्वाभाविक रूप से पायरिला के साथ-साथ ही खेत में आ जाता है।
उन्होंने बताया कि वर्तमान
समय में इनके उपचार के लिए भौतिक विधियां जैसे-लाइट एवं फैरोमोनट्रैप, रोगी पौधों को
उखाड़कर नष्ट करना एवं प्रभावित पत्तियों को तोड़कर नष्ट करना ट्राइको कार्ड लगाकर जैसे
उपायों को अपनाकर फसल को काफी हद तक बचाया जा सकता है, किन्तु इनका कीटों का प्रभाव
अधिक होने तथा परजीवी कीट/ट्राइको कार्ड की पर्याप्त उपलब्धता नहीं होने पर रासायनिक
नियंत्रण आवश्यक हो जाता है। अतः गन्ना किसानों की गन्ना फसल के रोग-कीटों से समय रहते
बचाव/नियंत्रण तथा अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए तत्काल वैज्ञानिकों की टीम गठित
कर सत्यापन कराना समय की जरूरत प्रतीत होती है। बताया कि प्रदेश की पेड़ी गन्ने एवं
शरदकालीन बुआई के अन्तर्गत बोई गई पौधा फसल में टॉप बोरर, पायरिला व अन्य कीटों तथा
लाल सड़न, बिल्ट, पोक्का बोइंग आदि रोगों के बचाव व प्रभावी नियंत्रण हेतु त्रिस्तरीय
टीम का गठन किया गया है। परिक्षेत्रीय उप गन्ना आयुक्त अपने-अपने परिक्षेत्र हेतु गठित
टीमों से समन्वय कर, परिक्षेत्र के प्रभावित क्षेत्रों का भ्रमण कराएंगे और गठित टीमें
अपने-अपने आवंटित परिक्षेत्र में स्थलीय भ्रमण कर टॉप बोरर, पायरिला व अन्य कीटों तथा
लाल सड़न, बिल्ट, पोक्का बोइंग आदि रोगों के बचाव व प्रभावी नियंत्रण हेतु 15 दिवस के
अंदर अपनी संस्तुति विभाग को प्रेषित करेंगी। वैज्ञानिक संस्तुतियों के अनुसार रोग/कीटों
के प्रभावी नियंत्रण हेतु सभी आवश्यक कदम अनिवार्य रूप से उठाए जाएंगे।
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