नित्य संदेश ब्यूरो
मुजफ्फरनगर। भारत में स्तन कैंसर महिलाओं
को प्रभावित करने वाला सबसे आम कैंसर बना हुआ है, और इसकी बढ़ती संख्या चिंताजनक है।
स्तन कैंसर से प्रभावी ढंग से लड़ने की कुंजी इसकी समय रहते पहचान में है। जब इसे शुरुआती
चरण में लक्षणों के प्रकट होने से पहले पता लगा लिया जाता है, तो इलाज अधिक सफल होता
है, कम आक्रामक होता है और इससे जीवित रहने की संभावना भी काफी बढ़ जाती है। इसके बावजूद,
कई महिलाएं जांच में देरी कर देती हैं या इससे बचती हैं, जिसका कारण डर या गलत जानकारी
होती है।
मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल वैशाली
के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी (ब्रेस्ट) विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. चिराग जैन ने बताया
कि स्तन कैंसर की शुरुआती पहचान के लिए सबसे विश्वसनीय तरीकों में से एक है मैमोग्राफी।
मैमोग्राफी एक विशेष प्रकार की एक्स-रे जांच है, जो स्तन ऊतक में मौजूद असामान्यताओं
को जैसे कैंसर के संकेत— स समय भी पकड़ सकती है जब गांठ को छूकर महसूस नहीं किया जा
सकता। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के दिशा-निर्देशों के अनुसार, 40 वर्ष
से अधिक उम्र की महिलाओं को हर साल मैमोग्राफी करवानी चाहिए। जिन महिलाओं के परिवार
में (मां या बहन को) स्तन कैंसर रहा हो, उन्हें यह जांच और भी पहले, डॉक्टर की सलाह
अनुसार शुरू कर देनी चाहिए “स्तन कैंसर के शुरुआती लक्षणों को पहचानना भी उतना ही महत्वपूर्ण
है। महिलाओं को अपने स्तनों या बगल में किसी भी नई गांठ, स्तन के आकार, बनावट या रंग
में बदलाव के प्रति सजग रहना चाहिए। स्तन या निप्पल में लगातार दर्द, निप्पल से दूध
के अलावा किसी और प्रकार का स्त्राव, या त्वचा में डिंपल पड़ना या लालिमा जैसे बदलाव
संभावित चेतावनी संकेत हो सकते हैं। हालांकि ये लक्षण हर बार कैंसर नहीं होते, लेकिन
इन्हें कभी भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए। समय पर डॉक्टर से परामर्श लेने से
सही जांच और उपचार संभव हो सकता है।“
No comments:
Post a Comment