Shahid Khan
नित्य संदेश, नई दिल्ली। गुजरात के बनासकांठा जिले के डीसा में मंगलवार की सुबह 8 बजे एक पटाखा फैक्ट्री में हुए भीषण बॉयलर विस्फोट ने पूरे इलाके को दहला दिया। इस हादसे में मध्य प्रदेश के 21 मजदूरों की जान चली गई, जिनमें ज्यादातर हरदा जिले के हंडिया और देवास जिले के संदलपुर गांव के निवासी थे।.तीन मजदूर गंभीर रूप से घायल हैं, जबकि पांच को मामूली चोटें आई हैं। मलबे में कई लोगों के दबे होने की आशंका से मरने वालों की संख्या बढ़ने का डर बना हुआ है। यह हादसा न केवल एक त्रासदी है, बल्कि मजदूरों की सुरक्षा और फैक्ट्री मालिकों की लापरवाही पर सवाल भी खड़े करता है।
सुबह का सन्नाटा बना मौत का मंजर
हादसा उस वक्त हुआ, जब मजदूर फैक्ट्री में पटाखे बनाने के काम में जुटे थे। सुबह का शांत माहौल अचानक एक जोरदार धमाके से टूट गया। बॉयलर फटने की आवाज इतनी तेज थी कि कई किलोमीटर तक सुनाई दी। विस्फोट इतना भीषण था कि फैक्ट्री की छत और दीवारें ढह गईं, और कई मजदूर मलबे में दब गए। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, धमाके के बाद आग की लपटें और काला धुआं आसमान में छा गया। सबसे दर्दनाक मंजर तब सामने आया, जब मजदूरों के शरीर के टुकड़े फैक्ट्री के पीछे खेतों में 50 मीटर तक बिखरे मिले। एक स्थानीय किसान ने बताया, "मैं खेत में काम कर रहा था, तभी कुछ अजीब चीजें गिरीं। पास जाकर देखा तो वे मानव अंग थे।"
दो दिन पहले आए थे सपनों के पीछे
मरने वाले सभी मजदूर हरदा और देवास के गरीब परिवारों से थे, जो रोजी-रोटी की तलाश में दो दिन पहले ही गुजरात पहुंचे थे। इनमें राकेशभाई नायक, उनकी पत्नी दलिबेन और बेटी किरेनबेन भी शामिल थे। इसी तरह लखनभाई गंगारामभाई नायक अपने पूरे परिवार के साथ इस हादसे का शिकार बने। ये लोग फैक्ट्री में मजदूरी कर अपने बच्चों का भविष्य संवारने का सपना देख रहे थे, लेकिन एक पल में सब कुछ खत्म हो गया। हंडिया गांव में राकेशभाई के घर पर कोहराम मचा है। उनकी मां ने रोते हुए कहा, "वो बोला था कि इस बार अच्छी कमाई करके आएगा, लेकिन अब उसकी लाश भी पूरी नहीं बची।"
आग पर काबू पाने में लगे 6 घंटे
विस्फोट के बाद फैक्ट्री में लगी आग इतनी भयानक थी कि फायर ब्रिगेड को इसे बुझाने में 5 से 6 घंटे लग गए। दमकल की दर्जनों गाड़ियां मौके पर पहुंचीं, लेकिन तब तक बहुत कुछ जलकर खाक हो चुका था। मलबे से मजदूरों को निकालने के लिए राहत और बचाव दल दिनभर जुटा रहा। डीसा की एसडीएम नेहा पांचाल ने बताया, "घायलों को तुरंत सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया। तीन लोग 40 प्रतिशत से ज्यादा झुलस गए हैं और उनकी हालत नाजुक है। पांच अन्य को मामूली चोटें हैं।" उन्होंने कहा कि मलबे में और लोगों के दबे होने की आशंका है, जिसके चलते रेस्क्यू ऑपरेशन तेज कर दिया गया है।
हरदा-देवास में मातम, गांवों का टूटा सहारा
हादसे की खबर जैसे ही हरदा और देवास के गांवों में पहुंची, वहां मातम छा गया। हंडिया के सुरेशभाई नायक के घर पर उनकी पत्नी और बच्चे बेसुध पड़े हैं। गांव के सरपंच ने बताया, "ये लोग मेहनत-मजदूरी के लिए गए थे। अब उनके परिवार का क्या होगा?" संदलपुर में भी लखनभाई के घर पर रोना-पीटना मचा हुआ है। उनकी 13 साल की बेटी लखन नी मोती बेन भी इस हादसे में मारी गई। गांव वाले सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन अभी तक सिर्फ जांच और आश्वासनों की बातें सामने आई हैं।
"जांच जारी, दोषियों को सजा मिलेगी"
डीसा की एसडीएम नेहा पांचाल ने कहा, "यह हादसा दुखद है। प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है। बॉयलर क्यों फटा और फैक्ट्री में सुरक्षा मानकों का पालन हुआ या नहीं, इसकी पड़ताल की जा रही है।" सूत्रों के मुताबिक, फैक्ट्री के पास पटाखे बनाने का वैध लाइसेंस नहीं था, और इसे गोदाम के तौर पर इस्तेमाल करने की अनुमति थी। फिर भी यहां पटाखे बनाए जा रहे थे, जो लापरवाही की ओर इशारा करता है। पुलिस ने फैक्ट्री मालिक के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है, जो हादसे के बाद से फरार है।
घायलों की हालत नाजुक, मलबे में उम्मीद
अस्पताल में भर्ती तीन गंभीर रूप से झुलसे मजदूर जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि उनके शरीर का 40 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा जल चुका है। एक नर्स ने बताया, "उनकी हालत देखकर लगता है कि वे बहुत दर्द में हैं। हम हर संभव कोशिश कर रहे हैं।" मलबे से अब तक 21 शव निकाले जा चुके हैं, लेकिन राहत दल को लगता है कि अभी और लोग दबे हो सकते हैं। रात होने के बावजूद रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है, और हर पल उम्मीद की किरण ढूंढी जा रही है।
सरकार और समाज पर सवाल
यह हादसा मजदूरों की सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। हरदा में पहले भी पटाखा फैक्ट्री में हुए हादसे की यादें ताजा हैं, और अब गुजरात में यह त्रासदी। सोशल मीडिया पर लोग सरकार और फैक्ट्री मालिकों की लापरवाही पर गुस्सा जाहिर कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, "कब तक मजदूरों की जान ऐसे जाएगी? सुरक्षा के नाम पर सिर्फ कागजी बातें क्यों?" मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शोक जताते हुए पीड़ित परिवारों को हर संभव मदद का भरोसा दिया है, लेकिन गांव वालों का कहना है कि "अब ये आश्वासन उनके अपनों को वापस नहीं ला सकते।"
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