चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में आईसीएसएसआर द्वारा प्रायोजित दो दिवसीय हुआ राष्ट्रीय सम्मेलन
नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR) के सहयोग से आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन "कंटेंस्टिंग स्पेस, ब्रेकिंग कन्वेंशन: कंटेम्पररी लिटरेरी लैंडस्केप एंड पॉपुलर लिटरेचर" बड़े उत्साह और विद्वतापूर्ण विचार-विमर्श के साथ संपन्न हुआ।
इस सम्मेलन में देशभर के विद्वानों, शिक्षाविदों, शोधार्थियों और साहित्य प्रेमियों ने भाग लिया और समकालीन साहित्यिक परिदृश्य व लोकप्रिय साहित्य से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर गहन मंथन किया। राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन का शुभारंभ प्रतिष्ठित विद्वानों और वक्ताओं के अभिनंदन के साथ हुआ। इस सत्र में दो सम्मानित प्लेनरी स्पीकर्स ने अपने विचार साझा किए, जिन्होंने समकालीन साहित्य और लोकप्रिय साहित्य के विविध पहलुओं पर प्रकाश डाला। पहले वक्ता, डॉ. देब दुलाल हलदर, जो दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं, ने लोकप्रिय साहित्य की एपिस्टमोलॉजी (ज्ञान मीमांसा) पर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने बताया कि लोकप्रिय साहित्य को विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक वर्ग किस प्रकार प्रभावित करते हैं और किस प्रकार सामान्य ज्ञान (common sense) की विचारधारा इसके निर्माण का एक महत्वपूर्ण घटक है। डॉ. हलदर ने अपने व्याख्यान में लोकप्रिय साहित्य की परिभाषा, उसकी सीमाएँ और उसकी व्यापक स्वीकार्यता पर रोशनी डाली। उनके विचारों ने सम्मेलन में भाग लेने वाले विद्वानों और शोधार्थियों को इस विषय पर नए दृष्टिकोण प्रदान किए।
दूसरे प्रमुख वक्ता, प्रो. सुधीर अरोड़ा, जो हरिश्चंद्र पीजी कॉलेज, मुरादाबाद में प्रोफेसर हैं, ने लोकप्रिय साहित्य की व्यथा और उसकी प्रासंगिकता पर गहन विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि लोकप्रिय साहित्य केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि समाज का प्रतिबिंब भी है। उन्होंने साहित्य की विषयवस्तु, शैलियों और उसमें निहित सामाजिक-सांस्कृतिक पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की। उनके व्याख्यान से यह स्पष्ट हुआ कि किस प्रकार लोकप्रिय साहित्य समाज में गहरी पैठ रखता है और वह सामाजिक परिवर्तन का एक प्रभावी माध्यम भी हो सकता है। सम्मेलन के समापन सत्र में प्रो. सुमित्रा कुकरेती ने लोकप्रिय साहित्य के अंतरंग प्रतिनिधित्व और साहित्य में नैतिकता की भूमिका पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि लोकप्रिय साहित्य मात्र एक मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि इसमें गहरे सामाजिक, सांस्कृतिक और नैतिक प्रश्न भी निहित होते हैं, जिन पर विचार करना आवश्यक है। इसके बाद, डॉ. निधि गुप्ता ने सम्मेलन की कार्यवाही पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें उन्होंने विभिन्न सत्रों में हुई चर्चाओं, प्रमुख बिंदुओं और विचार-विमर्श को संक्षेप में प्रस्तुत किया।
सम्मेलन के अंत में प्रो. रवींद्र कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया, जिसमें उन्होंने सभी प्रतिभागियों, अतिथियों और आयोजन टीम के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने विशेष रूप से संकाय सदस्यों डॉ. विजेता गौतम, डॉ. भावना सिंह और डॉ. निधि गुप्ता का उल्लेख किया, जिन्होंने सम्मेलन के सफल आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अतिरिक्त, उन्होंने उन सभी छात्रों को भी धन्यवाद दिया, जिन्होंने इस सम्मेलन की सफलता में अपना योगदान दिया। इस दो दिवसीय सम्मेलन में अकादमिक दृष्टिकोण से समकालीन साहित्य और लोकप्रिय साहित्य के विभिन्न पहलुओं पर गहन चर्चा की गई। विभिन्न वक्ताओं और शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। सम्मेलन का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ
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