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Thursday, December 19, 2024

बंद पड़ा है पीपलेश्वर शिव मंदिर: आरती का विरोध और पुजारी का कत्ल, पीपल के पेड़ को जलाने की कोशिश, अब शिव मंदिर खंडहर



नित्य संदेश ब्यूरो 
मेरठ। उत्तर प्रदेश में बंद मंदिरों को पुनः खोलने की कवायद चल रही है। मेरठ के शाहगासा मोहल्ले में भी प्राचीन पीपलेश्वर शिव मंदिर 1982 से बंद है। 42 वर्षो से यह मंदिर बंद है, लेकिन इससे पहले यहां रोज आरती के स्वर गूंजते थे। लेकिन कुछ लोगों को इससे खुद की इबादत में व्यवधान होता था। छोटे-छोटे आपसी वाद-विवाद धीरे-धीरे बडे़ बन गए और एक दिन यहां पूजा करने वाले पंडित रामभोले का कत्ल कर दिया गया। 

यह पीड़ादाई, भयभीत कर देने वाली घटना के बाद मंदिर में पूजा, पाठ, आरती होना सब बंद हो गया। उस समय के धार्मिक तनाव से दो समुदाय के बीच हिंसात्मक विवाद पनपा, बात अदालत तक पहुंची पर अब तक विवाद बना हुआ ही है। 

विवाद का कारण और न्यायालय की शरण - जब पीपलेश्वर शिव मंदिर में पंडित रामभोले आरती करते थे तो कुछ मुस्लिम लोग इसे पसंद नहीं करते थे। इसलिए हिंदू मुस्लिम विवाद हुआ। जिससे अंततः गुस्से में मुस्लिम लोगों ने पुजारी का कत्ल कर दिया। इस कत्लेआम से शाहगासा में तनाव और दंगे भड़क उठे, और शहर में कर्फ्यू लग गया था और शांति करने के लिए उस समय प्रशासन ने मंदिर बंद कर दिया। इस घटना के बाद, यह विवाद न्यायालय पहुंचा। जहां मुस्लिम पक्ष ने दावा किया कि यहां कोई मंदिर नहीं है, जबकि हिंदू पक्ष का कहना था कि यह एक प्राचीन शिव मंदिर है।  

इस विवाद ने दोनों समुदायों में दरार डाल दी। मामला न्यायालय में चला, और लगभग सात साल पहले सिविल कोर्ट मेरठ का फैसला आया कि यह शिव मंदिर ही है। लेकिन न्यायालय का फैसला जब तक आया तब तक दोनों पक्षों के प्रमुख जन, जिनका आपसी विवाद हुआ था, अब इस दुनिया में नहीं बचे। परिणामस्वरूप, मंदिर अब तक बंद है और खंडहर बन चुका है।

शाहगासा क्षेत्र अब मुस्लिम बाहुल्य है, यहां केवल कुछ हिंदुओं की दुकानें ही बची हैं। इन दुकानों का काम संध्या तक होता है फिर जो वे सुबह ही खुलती है। वैसे इस इलाके में अब कोई बड़ी धार्मिक गतिविधि नहीं होती। मंदिर में स्थित पीपल के पेड़ को जलाने का प्रयास भी किया गया।

इंदिरा गांधी ने किया दौरा : उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पुजारी के कत्ल, दंगे, कर्फ्यू के चलते इस घटना पर संज्ञान लेते हुए मेरठ का दौरा भी किया था। हिंदू पक्ष की बात सुनी, समझी थी लेकिन विवाद पर ठोस कार्यवाही नहीं करवाई थी, जिससे मंदिर बंद ही रहा।

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