नित्य संदेश डेस्क. हमारे देश में एक पन्द्रह सेकंड की अधूरी वीडियो दिखाकर बवाल मचाया जा रहा है कि गृहमंत्री अमित शाह ने बाबा साहेब का अपमान कर दिया। कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने तो कहा कि देश की जनता को इसका विरोध करते हुए दंगे से जवाब देना चाहिए।
पर जब हम पन्द्रह सेकंड से अधिक संविधान विषय पर गृहमंत्री को बोलते हुए सुनते है तो पाते है कि वे कह रहे है कि "अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर शब्द को फैशन बना लिया है अगर इतना नाम भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।" तब संसद में हल्ला होने लगा तो वे बीच में बोले सुने जाते है, सुनिए पूरी बात सुनिए और फिर अंबेडकर नाम को फैशन ना बनाकर उनको वास्तविक सम्मान देने की पूरी बातें वे विपक्ष को कहते है।
पूरा भाषण सुनने पर यथार्थ रूप से गृहमंत्री ने कुछ गलत नहीं बोला। यह बात सही है कि कांग्रेस और इण्डि गठबंधन ने वोट बैंक के लिए फैशन के जैसे बाबा साहेब के नाम का उपयोग तो किया ही है लेकिन बाबा साहब को वह सम्मान नहीं दिया जिसके वे हकदार थे। जो कांग्रेस बाबा साहेब का नाम देश में दंगे करवाने की मंशा से उपयोग कर अशांति फैला रही है वह जान ले कि देश की जनता सब जानती है।
कांग्रेस बाबा साहेब के नाम का उपयोग अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकने के लिए ही कर रही है। अगर नहीं कर रही होती तो वह देश के सर्वोच्च सम्मान 'भारत रत्न' से पहले ही बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर को सम्मानित कर देती। उसने तो ऐसी इच्छा रखने वालों तक की बात को कभी तवज्जों नहीं दी। बाबा साहेब को भारत रत्न तब मिला जब ग़ैर कांग्रेसी सरकार बनी, जिसका समर्थन भाजपा ने बहुत हर्ष से किया था।
* देश की संसद के सेंट्रल हॉल में डॉ. भीमराव अंबेडकर का छायाचित्र उनके मरणोपरांत नहीं लगाया गया था अपितु 1990 में कई दशकों बाद जब कांग्रेस के परिवारवाद की जड़ कमजोर हुई तब वोट बैंक के लिए बाबा साहेब का चित्र लगाया था।
* कांग्रेस ने 1952 के लोकसभा चुनावों में डॉ. अंबेडकर के खिलाफ उम्मीदवार खड़ा किया और उन्हें हराया। 1954 उपचुनाव में भंडारा से भी उनको कांग्रेस ने हराया।
* डॉ. अंबेडकर के लाए हिंदू कोड बिल को कांग्रेस ने पारित नहीं होने दिया जिससे वे कानून मंत्री पद से इस्तीफा देने को मजबूर हुए। इस्तीफ़े के रूष्ट कांग्रेस ने बाबा साहेब को कम महत्व का मंत्रालय दिया, अनुसूचित जातियों की अनदेखी की और ओबीसी कोटा लागू नहीं करने पर जोर दिया।
* गैर कांग्रेसी सरकार बनने पर अनुसूचित जाति आरक्षण नवबौद्धों को 1990 में मिल पाया था।
* कांग्रेस ने डॉ. अंबेडकर के अलग निर्वाचन क्षेत्र की मांग का विरोध किया और हिंसा का डर दिखाकर उन्हें ब्लैकमेल करके पूना पेक्ट के लिए मजबूर किया था।
* डॉ. अंबेडकर के 'महाड़ सत्याग्रह' और छुआछूत के खिलाफ आंदोलन को कांग्रेस ने समर्थन नहीं दिया। गांधी वर्ण व्यवस्था का समर्थन करते रहे।
* कांग्रेस ने डॉ. अंबेडकर के जन्मस्थान महू और उनसे जुड़ी अन्य जगहों को राष्ट्रीय स्मारक नहीं बनाया। इस काम को करने का सौभाग्य व श्रेय मोदी जी को ही जाता है।
* कांग्रेस ने डॉ. अंबेडकर के संदर्भ में किताबें, विचारों, दस्तावेजों के प्रचार-प्रसार के लिए कोई प्रयास कभी नहीं किया। रचनावली का प्रकाशन भी शरद पवार के मुख्यमंत्री रहने के दौरान हुआ।
* कांग्रेसियों ने संविधान दिवस, समरसता दिवस कभी नहीं मनाया। यह राष्ट्रीय उत्सव नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में शुरू हुए है।
यह सब बातें साफ-साफ बताती है कि कांग्रेस को बाबासाहेब से किस तरह का लगाव था। अब कांग्रेस सिर्फ अंबेडकर नाम को फैशन जैसे ही तो उपयोग कर रही है। उसके पास मुद्दे है ही नहीं इसलिए वह गृहमंत्री द्वारा अंबेडकर का अपमान ना करने पर भी प्रोपेगेंडा चला रही है ताकि देश में अशांति फैले। खड़गे तो पहले ही बोल चुके है भारत में बांग्लादेश जैसा हाल होगा। इसलिए वह अभी भी भड़काऊ भाषण देकर जनता को अधूरी क्लीप का हवाला दे रहे है। देश में विपक्ष का 99 सीट लाकर मजबूत होने का मतलब यह कतई नहीं है कि वह बाबा साहेब अंबेडकर के नाम से संसद में हिंसा फैलाए। सत्तापक्ष के सांसदों पर हमला करें। ऐसी घटनाएं देश के लोकतंत्र को शर्मसार कर देने वाली ही कही जाएगी।
- सपना सी.पी. साहू 'स्वप्निल'
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