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Saturday, December 28, 2024

पुस्तक शारदा मंडलोई का रचना संसार का लोकार्पण



लुगड़े वाली माँ के वात्सल्य की ऊष्मा है शारदा मंडलोई की रचनाओं में: डॉ.विकास दवे

सपना साहू 
नित्य संदेश, इंदौर: शारदा मंडलोई की रचनाओं में जीवन के संघर्ष और अनुभव तो हैं ही घट्टी है, चूल्हा है, मेढ़ है, खलिहान है। इन सबसे बढ़कर इन पृष्ठों में लुगड़े वाली माँ के वात्सल्य की ऊष्मा है। पाठक एक क्षण को अपनी बहती आंखें किताब के पन्नों से छुपा लेगा तो लगेगा पल्लू से आंखें पूंछ रही हैं। रचना जब सामाजिक और राष्ट्रीय सरोकार के साथ अवतरित होती हैं तो पाठक भी उसका स्वस्ति वाचन करते हैं।

उक्त बात डॉ विकास दवे (निदेशक, साहित्य अकादमी, मध्यप्रदेश शासन, भोपाल) ने पुस्तक लोकार्पण के अवसर पर कही.. वे मध्य भारत हिंदी साहित्य समिति में आयोजित शारदा मंडलोई (लेखिका और वामा साहित्य मंच की मार्गदर्शक )की पुस्तक के विमोचन पर बोल रहे थे. 

मुख्य अतिथि के रूप में शामिल शिवना प्रकाशन के प्रमुख श्री शहरयार खान ने शारदा जी को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उनकी कविताओं में सहजता से परिवार, देश और समाज की बातें अभिव्यक्त हो रही हैं यह किताब बहुत देरी से आई इसे बहुत पहले आ जाना था.
                      
पुस्तक चर्चाकार के रूप में साहित्यकार ज्योति जैन ने कहा कि शारदा जी की यत्र-तत्र बिखरी रचनाओं को एक जगह समेटने के शुभ कार्य को करने के दौरान ही मुझे लगा कि यह उनकी बरसों बरस की मेहनत का नतीजा है.उनके सघन अनुभवों का रसमयी निचोड़ है. उनकी रचनाएं भाषा की सरलता और रोचकता का मिश्रण है. इस अवसर पर शिवना प्रकाशन के प्रमुख शहरयार खान सहित शहर के गणमान्य अतिथि उपस्थित थे.

आरंभ में सरस्वती वंदना वीणा मेहता ने प्रस्तुत की. परिवार की तरफ से स्वागत अमिताभ मंडलोई,नीरज मंडलोई और दिव्या मंडलोई ने और वामा साहित्य मंच की तरफ से प्रेमकुमारी नाहटा, पद्मा राजेन्द्र और सरला मेहता ने किया. संचालन स्मृति आदित्य ने किया तथा आभार दिव्या मंडलोई ने माना.

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