Breaking

Your Ads Here

Wednesday, November 13, 2024

परिवार न्यायालय के भत्ता दिए जाने के आदेश पर रोक, नोटिस जारी कर कोर्ट ने मांगा जवाब


नित्य संदेश ब्यूरो 
गाजियाबाद। प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय गाजियाबाद ने पत्नी वर्षा त्यागी निवासी गोविंदपुरम जिला गाजियाबाद व उसकी बेटी को भत्ता दिए जाने के आदेश के विरुद्ध पति अनुज त्यागी निवासी गुड़गांव जिला पानीपत हरियाणा इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी।

याची पति की ओर से अधिवक्ता सुनील चौधरी ने न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला के समक्ष बहस में बताया कि विपक्षी पत्नी को परिवार न्यायालय ने अध्यापिका के रूप में नौकरी किए जाने की बात को स्वीकार करने के उपरांत भी पत्नी के द्वारा झूठा शपथ पत्र देकर अपने आप को गृहणी बताकर, आय का कोई भी श्रोत न होना बताया, फिर मुकदमे के झूठा बयान दिए जाने के दौरान पति के द्वारा 340 CrPc के अंतर्गत प्रार्थना पत्र दिए जाने पर नौकरी का खुलासा होने पर पत्नी ने जानबूझकर नौकरी से इस्तीफा दिए जाने पर परिवार न्यायालय ने पत्नी को बेरोजगार व स्वयं व अपनी पुत्री का भरण पोषण करने में सक्षम नहीं है मानते हुए याची को ₹15,000 प्रतिमाह भत्ता दिए जाने जाने का आदेश पत्नी व पुत्री के नाम से देने को कहा, जबकि याची टीसीएस कंपनी गुड़गांव में प्राइवेट नौकरी कर ₹50,000 की सैलरी मिलती है। इसमें लोन व माता-पिता के खर्च दवा व अन्य खर्चो को वहन करने के पश्चात यांची को मात्र 15 से ₹20 हजार की बचत हो पाती है।

याची के अधिवक्ता ने बताया कि विपक्षी पत्नी याची को घर जमाई बनाकर रखना चाहती है, विपक्षी पत्नी शादी से पूर्व और बाद में भी नौकरी अध्यापक के रूप में करती चली आ रही है। मुकदमे में उसने अपने आप को एक घरेलू महिला ग्रहणी बताते हुए आदेश प्राप्त करा लिया, जबकि विपक्षी पत्नी एमए, बीएड की योग्यता रखते हुए वर्तमान में अध्यापक के रूप में गाजियाबाद में अलग पिता के द्वारा दिये फ्लैट में अपनी बेटी के साथ रही रही है। वह सोशल मीडिया में छोटी बच्चियों के साथ फ़ोटो शूट कर रील बनाकर सभी श्रोतो से लगभग एक लाख महीने की आमदनी कर रही है। वह याची के साथ घर जमाई बनाए जाने की शर्त पर रहने को तैयार है।

याची की 340 crpc प्रार्थना पत्र व वर्तमान समय मे स्कूल में कार्यरत विद्यालय से अभिलेख तलब किये जाने के प्रार्थना पत्र दिया, जिस पर अभिलेख तलब करने की प्रार्थना पत्र को खारिज करते हुए मुकदमे को निस्तारित कर दिया, जबकि आज तक 340 crpc की प्रार्थना पत्र विचाराधीन है।

जिस पर न्यायालय ने पत्नी को दिए जाने वाले भत्ते के आदेश व उसके प्रभाव को रोक लगाते हुए विपक्षी को जवाब दाखिल करने का आदेश पारित किया है और याची को अपनी बेटी को परिवार न्यायालय के आदेश अनुसार खर्च दिए जाने का आदेश किया है और अगली सुनवाई 9 जनवरी 2025 नियत किया। 

No comments:

Post a Comment

Your Ads Here

Your Ads Here