नित्य संदेश डेस्क। 20 साल पूर्व यह कहां करते थे कि कोई घर नहीं बचा हुआ, जिसमें की कोई बीमार नहीं है, लेकिन आज यह कहते हैं कि कोई एक आदमी परिवार में बचा हुआ नहीं है, जो दवाई नहीं खा रहा है। क्या आपने कभी इसको जानने का प्रयास किया है? नहीं, मैं आपको बताना चाहूंगा कि मेरठ शहर में एक भी मिठाई की दुकान ऐसी नहीं है, जहां पर आपको शुद्ध मिठाई मिल जाए, सभी लोग कहते हैं कि हमारे यहां देसी घी से बनी हुई मिठाइयां है, जबकि ऐसा नहीं है।
अगर आपको और अपने प्रिय परिवार को बचाना है तो आज संकल्प लें कि हम मिठाई नहीं खाएंगे और न ही किसी को उपहार स्वरूप मिठाई देंगे। अगर किसी को उपहार स्वरूप मिठाई देने का मन करता है तो मिठाई न देकर मौसमी फलों को उपहार में दें। 30 -40 साल पूर्व मिठाई बिना फ्रिज के 10 -15 दिन तक खराब नहीं होती थी, लेकिन आजकल मिठाई 24 घंटे में ही खराब हो जाती है। इसका कारण है कि अशुद्ध पदार्थो का प्रयोग कर मिठाइयां तैयार की जा रही है और जनता के साथ खुला खिलवाड़ हो रहा है। कोई यह जानने के लिए उत्सुक नहीं है कि आजकल दिन प्रतिदिन गुर्दे और लीवर के मरीजों की संख्या क्यों बढ़ रही है। न शासन न प्रशासन बढ़ते मरीजों की संख्या के लिए चिंतित है। हमें स्वयं सचेत करना होगा और संयमित होकर आहार का चयन करना होगा, अन्यथा असामयिक मौत का सामना करना होगा।
आओ हम सब मिलकर यह संकल्प लें, न हीं हम मिठाई का सेवन करेंगे और न हीं मिठाई को उपहार में अपने किसी इष्ट मित्रों को देंगे।
लेखक
डॉ अनिल नौसरान
पूर्व सचिव, आईएमए मेरठ
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