सपना साहू
नित्य संदेश, इंदौर। आज दोपहर प्रसिद्ध गीतकार, भाषाविद, साहित्यकार बुद्धिनाथ मिश्र का संक्षिप्त प्रवास पर इंदौर आगमन हुआ। समय की कमी को देखते हुए हिंदी साहित्य समिति में हिंदी परिवार के सदस्य, वरिष्ठ साहित्यकारों द्वारा उनका सम्मान रखा गया और संक्षिप्त साहित्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।
स्वागत और अभिनंदन के तुरंत बाद साहित्यकारों के अनुरोध को मान्य करते हुए श्री मिश्र ने सस्वर गीत सुनाए और शेष उपस्थित साहित्यकारों ने अपनी रचना के मुखड़े सुनाते हुए सरस साहित्य गोष्ठी का आनंद लेते हुए स्वल्पाहार का भी आनंद लिया। ज्ञातव्य है कि श्री मिश्र नईदुनिया और जागरण समूह से लंबे अरसे से अपनी रचना धर्मिता के बल पर जुड़े रहे हैं और उनके हिंदी व्याकरण के आलेख प्रमुखता से स्थान पाते रहे हैं। इस अवसर पर अरुण कुमार जैन, प्रदीप नवीन, हरेराम बाजपाई, प्रभु त्रिवेदी, राकेश शर्मा और तृप्ति मिश्र, शरद शर्मा आदि उपस्थित रहे और पावस गोष्ठी का आनंद लिया। स्वल्पाहार के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ। इस अवसर पर श्री मिश्र को समिति भवन दिखाते हुए इसकी महत्ता पर प्रकाश डाला गया। उन्हें बताता गया कि यही वह स्थल है जहां गांधीजी दो मर्तबा इस भवन के शिलान्यास और बाद में उद्घाटन के अवसर पर आए। यहीं गांधीजी ने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने का संकल्प लिया था और गांधी जी के अनुरोध पर इंदौर वासियों ने 1935 में एक बहुत बड़ी रकम आधा घंटा में एकत्रित कर मुक्त हस्त से गांधीजी को सौंपी थी, उसी राशि से गांधीजी ने हैदराबाद, चेन्नई, वर्धा आदि जगहों पर हिंदी की प्रगति के लिए साहित्य समितियों का निर्माण किया था और बड़े शोध केंद्र , हिंदी हित में स्थापित किए थे जो आज भी कुशल रूप से कार्यरत हैं। श्री मिश्र ने शिलान्यास शिला को नमन करते हुए हिंदी सेवियों के लिए इसे सबसे बड़ा धाम या तीर्थ घोषित किया।
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