अनम शेरवानी
नित्य संदेश, मेरठ। स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय मेरठ के डिपार्टमेंट ऑफ लिबरल आर्ट्स एंड ह्यूमैनिटीज ने बड़े उत्साह के साथ स्क्रिबल दिवस मनाया। छात्रों की रचनात्मकता और अभिव्यक्ति को समर्पित यह अनूठा कार्यक्रम पूरे विभाग के लिए एक यादगार अवसर बन गया। विशेषकर बैचलर ऑफ आर्ट्स (बीए) छात्रों के लिए। स्क्रिबल डे, डिपार्टमेंट ऑफ लिबरल आर्ट्स एंड ह्यूमैनिटीज में एक परंपरा है, एक ऐसा दिन है जब छात्र रचनात्मक स्क्रिबल्स, संदेशों और कलाकृति के माध्यम से अपने विचारों, यादों और भावनाओं को व्यक्त करते हैं। यह कार्यक्रम छात्रों के लिए न केवल अपनी रचनात्मकता प्रदर्शित करने का बल्कि बीए कार्यक्रम के माध्यम से अपनी यात्रा को प्रतिबिंबित करने का भी एक मंच था।
विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार त्रिपाठी ने छात्रों को भावपूर्ण भाषण से संबोधित किया। उन्होंने स्नातक छात्रों को बीए कार्यक्रम के सफल समापन के लिए बधाई दी और उनकी शैक्षणिक यात्रा के दौरान उनकी कड़ी मेहनत, समर्पण और लचीलेपन की सराहना की। डॉ. त्रिपाठी ने सर्वांगीण व्यक्तियों को आकार देने में उदार कलाओं के महत्व पर जोर दिया, जो न केवल जानकार हैं, बल्कि सहानुभूतिपूर्ण और सामाजिक रूप से जागरूक भी हैं। कला और सामाजिक विज्ञान संकाय (एफएएसएस) के डीन डॉ. सुधीर कुमार त्यागी ने स्नातक होने वाले छात्रों को अपनी हार्दिक शुभकामनाएं दीं। अपने संबोधन में, डॉ. सुधीर कुमार त्यागी ने छात्रों के सामने आने वाली चुनौतियों, विशेष रूप से वैश्विक महामारी के कारण उत्पन्न अनिश्चित समय के दौरान, और अनुकूलन और दृढ़ रहने की उनकी क्षमता की प्रशंसा की। उन्होंने छात्रों को विभाग में अपने समय के दौरान अपनाए गए मूल्यों को आगे बढ़ाने और अपने सभी भविष्य के प्रयासों में उत्कृष्टता के लिए प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित किया।
स्क्रिबल डे की सफलता का श्रेय काफी हद तक राजनीति विज्ञान की सहायक प्रोफेसर डॉ. अमृता चौधरी की सावधानीपूर्वक योजना और समन्वय को दिया गया। डॉ. अमृता चौधरी ने सुनिश्चित किया कि यह कार्यक्रम रचनात्मकता, पुरानी यादों और उत्सव का एक सहज मिश्रण था। इस कार्यक्रम में विभिन्न प्रकार की गतिविधियाँ शामिल थीं,
कार्यक्रम की मेजबानी हुजैफा और शिवानी ने की। विद्यार्थियों में वासु, उज्जवल, निकिता, अंशु, पेमा, डोली, पायल, हया, वैभव, अल्ताफ मौजूद रहे। फैकल्टी में डॉ. अमित कुमार, डॉ. नेहा, डॉ. दुर्वेश कुमार एवं डॉ. नियति गर्ग उपस्थित रहे।
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