नित्य संदेश, मेरठ। प्रो. सुधाकराचार्य त्रिपाठी के मयूर विहार स्थित निवास पर हरिवंशपुराण की कथा के तीसरे दिन कथाव्यास डा. पूनम लखनपाल ने कृष्ण लीला का अत्यन्त अद्भुत वर्णन किया।
गिरिराज पर्वत की कथा व इन्द्र द्वारा कृष्ण को गोविन्द नाम देना। ईश्वर सत् चित् आनन्द स्वरूप हैं। इसीलिये हमारे प्रत्येक कार्य का उद्देश्य भी आनन्दप्राप्ति ही है, कृष्ण रासलीला का अतीव मनोरम वर्णन किया गया। वृषभरूपधारी दैत्य अरिष्टासुर का दमन, कंस द्वारा अक्रूरजी से कृष्ण और बलराम को बुलवाना, केशी वध, अक्रूरजी को यमुना नदी में भगवान के दर्शन होना, कृष्ण बलराम द्वारा कंस की राजधानी का भ्रमण व सुंदर वेष, माला, तिलक आदि धारण करना। कंस के जन्म की कथा, कंस की राजा उग्रसेन व माता द्वारा भर्त्सना, कंस द्वारा रंगशाला की सज्जा करवाना,चाणूर और कृष्ण,बलराम और मुष्टिक का मल्लयुद्ध और वध का वर्णन किया गया।
सप्तर्षियों द्वारा कृष्ण को आशीर्वाद, कृष्ण द्वारा कंस वध। तत्पश्चात् कृष्ण बलराम को सांदीपनी ऋषि के आश्रम में भेजा जाना। गुरुदक्षिणा में ऋषि द्वारा अपने मरे हुये पुत्र को मांगा जाना।कृष्ण द्वारा उनके पुत्र को वापस लाना।जरासंध के साथ १८ बार युद्ध किये जाने आदि का वर्णन किया गया।
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