नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। विधि अध्ययन संस्थान चाौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय परिसर में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के संयुक्त तत्वाधान में संस्थान के सेमिनार हाल में अंतर्राष्टीय मानव अधिकार दिवस के उपलक्ष्य में मानव अधिकार और भारतीय ज्ञान प्रणाली आधुनिक संदर्भ मं अंर्तदृष्टि विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ प्रो. संजीव कुमार शर्मा निदेशक-अकादमिक चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय रमेश कुश्वाहा सचिव डी0एल0एस0ए0 मेरठ प्रो0 के0के0शर्मा0 विभागाध्यक्ष इतिहास विभाग डा0 विवेक कुमार समन्वयक विधि अध्ययन संस्थान श्री आशीष कौशिक सहायक आचार्य व डा0 अपेक्षा चैधरी सहायक आचार्य द्वारा मा सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्जवलन कर किया गया।
कार्यक्रम में डा0 अपेक्षा चैधरी द्वारा स्वागत भाषण दिया गया जिसमें उन्होंने मानव अधिकार और भारतीय ज्ञान परंपरा में परस्पर समानताओं पर प्रकाश डाला। इसके पश्चात् कार्यक्रम संयोजक श्री आशीष कौशिक ने अपने भाषण में कहा की भारत मानवीय गरिमा व समानता का जनक है। उन्होंने कहा की भारतीय विद्वत्ता पूर्ण ग्रंथ जैसे वेद अगामस उपनिषद श्रुति स्मृति आदि में हाल ही में उत्पत्ति मानव अधिकार जैसा कोई शब्द नहीं है परन्तु जब मानव अधिकार के मूल अवधारणा में मानवीय गरिमा और समानता है जिसका उदाहरण हमें निम्नलिखित ग्रंथों में मिलता है। भारतीय परंपरा धर्म व सदाचार पर जोर देती है। भारतीय समाज में कर्तव्यों का पालन करना ही अधिकारो की सुनिश्चिता तय करता है। संस्थान के समन्वयक डा0 विवेक कुमार ने अंतर्राष्टीय मानव अधिकार दिवस की शुभकामनायें देते हुये कहा की भारत की प्राचीन परंपरा सर्वे स्व स्व ग्रहे राजा के अनुसार राजा भी बिना अनुमति के किसी के घर में जाने का अधिकार नहीं रखता है। भारत प्राचीनतम् जीवित सभ्यता है जिसमें सांस्कृतिक निरंतरता है। इस क्रम में चीन द्वितीय एवं ग्रीस तृतीय स्थान पर आता है। भारतीय प्राचीनतम् ग्रंथों में मानवाधिकार की अवधारणा शाब्दिक रूप से नहीं मिलती है किन्तु भावनात्मक रूप से आवश्यक रूप से विद्यमान है। इस प्रकार हमारे देश में निजता के मानव अधिकार का पालन पौराणिक काल से हो रहा है। कार्यक्रम में श्री रमेश कुश्वाहा सचिव डी0एल0एस0ए0 मेरठ ने अपने विचार रखते हुये कहा की अधिकारों और कर्तव्यों को समान महत्व देना चाहिये हमारे समाज में फैली हुई कुरीतियों रूढीवादी विचारो को त्याग कर समय के परिवर्तन अनुसार उचित और आवश्यक कर्तव्यों का पालन करें और उन्होंने यू0डी0एच0आर0 के परिपेक्ष्य को वर्णित करते हुये समाज से भ्रष्टाचार उन्मूलन और कुरीतियों को दूर कर ही मानव अधिकारों की स्थापना का आह्वान किया।
प्रो0 के0के0शर्मा0 विभागाध्यक्ष इतिहास विभाग ने सेमिनार में अपने विचार रखते हुये कहा की अधिकार जैसा शब्द हमारे ग्रंथों मं नही मिलता क्योंकि यह आधुनिक युग से सम्बंधित है। उन्होने कहा की जब कोई व्यक्ति दूसरे के अधिकारों का उल्लंघन नहीं करता तो वह स्वतः ही अधिकारों को सुरक्षित करता है। उन्होंने भारतीय संस्कृति की महत्वपूर्ण विशेषता निरंतरता को बताया जोकि पाषाण काल से आज तक चल रही है। प्रो0 संजीव कुमार शर्मा निदेशक अकादमिक चैधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ मानव अधिकार दिवस की शुभकामनाये देते हुये अपने उद्बोधन में कहा की संसार में भारत ही सबसे पुरानी संस्कृति और परंपरा है इसके महत्व को बताते हुये उन्होंने बताया की आज के युग में गीता का उपदेश किस नक्षत्र में हुआ इस पर शोध चल रहा है। भारत एक समृद्व समाज था और यहां पर किसी भी प्रकार से अहिंसा और क्रूरता की जगह नहीं थी। यहा पर शस्त्र नहीं शास्त्रार्थ की परंपरा थी। जिस वजह से भारत वर्ष पर निरंतर बाहरी ताकतों ने प्रहार किया। उन्होंने कहा की वैदिक समाज धर्म आधारित समाज था जहां कर्तव्यों का सभी को भान रहता था।
उन्होंने कहा कि धर्म का अभिप्राय पूजा पद्वति से नहीं है। धर्म यहा कर्तव्य का धोतक है। भारतीय समाज तकनीकी रूप से एक विकसित समाज था जिसमें हर तरीके की आधुनिक तकनीक जैसे परमाणु ऊर्जा चिकित्सा विज्ञान आदि शुरू से विद्यमान रहे है। भारतीय परंपरा में मानव अधिकारों की संकल्पना केवल कर्तव्य बोध से ही पूरी की जा सकती है। धर्मा हर व्यक्ति के बहुमुखी आयामों में अलग-अलग है जैसे सामाजिक धर्म राज्य धर्म पित्र धर्म आदि है। भारतीय समाज में मानव अधिकरों की अवधारण पाश्चात्य् विचारधारा से विपरीत है यहां पर पाश्चात्य विचारधारा को निजी व्यक्ति को जोड़ कर देखा गया है जबकि भारतीय संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम् की परंपरा का पालन करती है। सेमिनार में संस्थान के लगभग 20 छात्र-छात्राओं ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये। कार्यक्रम का सकुशल संचालन डा0 मीनाक्षी द्वारा किया गया एवं धन्यवाद ज्ञापन डा0 सुदेशना द्वारा किया गया। कार्यक्रम में डा0 विकास कुमार डा0 धनपाल डा0 महिपाल डा0 सुशील कुमार शर्मा एवं संस्थान में अध्ययनरत् छात्र-छात्रायें उपस्थित रहे।
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