नित्य संदेश। बुखार (*Fever*) शरीर में होने वाली *सूजन प्रक्रिया (Inflammatory Process) के पाँच प्रमुख लक्षणों में से एक है। सूजन दरअसल शरीर की प्राकृतिक रक्षा प्रणाली (Defense Mechanism) है, जो हमें संक्रमण और रोगों से बचाने का कार्य करती है। सरल भाषा में कहें तो – बुखार शरीर की एक सुरक्षात्मक प्रतिक्रिया है।
यह हमारे शरीर को बाहरी संक्रमण से लड़ने में मदद करता है।
प्राचीन काल और बुखार
आज से सैकड़ों वर्ष पहले, जब एंटीबायोटिक्स का आविष्कार नहीं हुआ था, उस समय चिकित्सक जानबूझकर शरीर का तापमान बढ़ाने का प्रयास करते थे। उनका मानना था कि शरीर की गर्मी बढ़ाकर संक्रमण को समाप्त किया जा सकता है। यह मान्यता आधुनिक चिकित्सा में भी आंशिक रूप से सही पाई गई है, क्योंकि कई जीवाणु और विषाणु ऊँचे तापमान में नष्ट होने लगते हैं।
सितंबर, अक्टूबर और नवंबर में बुखार के प्रमुख कारण
बरसात और बदलते मौसम के कारण इन महीनों में बुखार की समस्या अधिक होती है। इसके मुख्य कारण हैं
1. सामान्य वायरल बुखार (Viral Fever) – सबसे आम कारण
2. डेंगू (Dengue)
3. मलेरिया (Malaria)
4. टायफाइड (Typhoid)
5. चिकनगुनिया (Chikungunya)
6. स्क्रब टाइफस (Scrub Typhus)
7. मूत्र मार्ग का संक्रमण (Urinary Tract Infection)
8. ऊपरी श्वसन तंत्र का संक्रमण (Upper Respiratory Tract Infection)
इनके अतिरिक्त कई बार टीबी (Tuberculosis) और रक्त कैंसर (Leukaemia) जैसी गंभीर बीमारियाँ भी बुखार के दौरान संयोगवश जांच में पकड़ी जाती हैं।
संक्रमण फैलने के प्रमुख तरीके
बुखार पैदा करने वाले संक्रमण अलग-अलग मार्ग से फैल सकते हैं –
* जल जनित (Water-borne) → दूषित पानी
* भोजन जनित (Food-borne) → अस्वच्छ भोजन
* मच्छर जनित (Mosquito-borne) → डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया
* व्यक्ति से व्यक्ति (Person-to-person) → श्वसन संक्रमण, फ्लू आदि
शुरुआती देखभाल
अक्सर शुरुआती 4–5 दिनों तक किसी विशेष दवा की आवश्यकता नहीं होती। इस समय केवल सही देखभाल ही काफी होती है:
* पूर्ण बिस्तर पर आराम करें
* पर्याप्त मात्रा में तरल आहार (लिक्विड डाइट) लें – जैसे जूस, शरबत, शिकंजी आदि
* हल्का और पचने योग्य भोजन लें
* शरीर को हाइड्रेटेड रखें
90% से अधिक मामलों में केवल इन साधनों से ही बुखार अपने आप उतर जाता है।
कब करवाएँ जाँच?
यदि 5वें दिन के बाद भी बुखार बना रहता है, तो अनिवार्य रूप से जांच करानी चाहिए।
सबसे महत्वपूर्ण जाँच है –
* जनरल ब्लड पिक्चर (GBP)
इसके बाद आगे की जांचें योग्य पैथोलॉजिस्ट से परामर्श लेकर कराई जानी चाहिए।
याद रखें – पैथोलॉजिस्ट ही सही और सटीक निदान (Diagnosis) करने में विशेषज्ञ होते हैं।
सही और समय पर निदान का महत्व
जल्दी और सही पहचान से –
* रोग का शीघ्र उपचार संभव होता है
* मरीज को अनावश्यक खर्च से बचाया जा सकता है
* शरीर पर रोग का कम बोझ पड़ता है
इसलिए बुखार को नज़रअंदाज़ न करें और सही समय पर उचित जाँच अवश्य करवाएँ।
डॉ. अनिल नौसरान
संस्थापक – *Cyclomed Fit India*
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