नित्य संदेश। आज समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है कि भारत में
एलोपैथिक दवाओं के प्रचार-प्रसार और वितरण पर कठोर कदम उठाए जाएँ। वर्तमान स्थिति
में फार्मा कंपनियाँ और उनके प्रतिनिधि केवल एलोपैथिक चिकित्सकों तक सीमित रहने के
बजाय आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी और अन्य
चिकित्सा पद्धतियों के चिकित्सकों के पास भी जा रहे हैं। यह प्रवृत्ति अत्यंत
हानिकारक है और जनस्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न कर रही है।
एलोपैथिक दवाएँ अत्यधिक प्रभावशाली होती हैं। इनके सुरक्षित उपयोग के लिए फार्माकोलॉजी, दुष्प्रभाव, औषधि परस्पर क्रियाएँ, उचित मात्रा और इलाज की
अवधि का गहन ज्ञान होना आवश्यक है। ये विषय अन्य चिकित्सा पद्धतियों की शिक्षा में
शामिल नहीं होते। जब गैर-एलोपैथिक चिकित्सक फार्मा कंपनियों के प्रभाव में आकर
एलोपैथिक दवाओं का प्रयोग करते हैं तो इसका परिणाम अवैज्ञानिक और असुरक्षित दवा
उपयोग के रूप में सामने आता है।
इसके दुष्परिणाम साफ दिखाई दे रहे हैं:
-एंटीबायोटिक प्रतिरोध एंटीबायोटिक का अंधाधुंध और अवैज्ञानिक
उपयोग, दवाओं के असर को कमजोर
कर रहा है और खतरनाक संक्रमणों को जन्म दे रहा है।
-दवा जनित विषाक्तता और अंगों की विफलता: गलत खुराक और
अनुपयुक्त दवाओं के संयोजन से गुर्दा, यकृत और हृदय जैसे महत्वपूर्ण अंगों को स्थायी क्षति पहुँच रही है।
जनस्वास्थ्य पर खतरा: अनभिज्ञ मरीज असुरक्षित इलाज की चपेट में आ रहे हैं, जिससे रोग बिगड़ने की
संभावना और बढ़ जाती है।
हर एलोपैथिक दवा विष: यह
बार-बार रेखांकित करना आवश्यक है कि हर एलोपैथिक दवा विष है,
इनका लाभ तभी है, जब योग्य और प्रशिक्षित एलोपैथिक चिकित्सक
द्वारा विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग किया जाए। गलत उपयोग जानलेवा साबित हो सकता है।
विरुद्ध नियामक कार्रवाई की जाए
1. कठोर प्रतिबंध: फार्मा
कंपनियों के मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव्स केवल एलोपैथिक डॉक्टरों, क्लीनिकों और अस्पतालों
तक ही सीमित रहें।
2. नियमन और जवाबदेही: जो
कंपनियाँ गैर-एलोपैथिक चिकित्सकों को एलोपैथिक दवाओं का प्रचार करती हैं, उनके विरुद्ध नियामक
कार्रवाई की जाए।
3. जागरूकता और प्रशिक्षण:
जनता एवं चिकित्सकों को अवैज्ञानिक दवा उपयोग के खतरों के बारे में शिक्षित किया
जाए।
4. नीति का क्रियान्वयन:
सरकार द्वारा स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी हों कि एलोपैथिक दवाओं का प्रयोग केवल
योग्य एलोपैथिक चिकित्सक ही करें।
यूनाइटेड फ्रंट ऑफ डॉक्टर्स की मांग
यूनाइटेड फ्रंट ऑफ डॉक्टर्स का स्पष्ट मत है कि एलोपैथिक दवाओं का विवेकपूर्ण
और वैज्ञानिक उपयोग न केवल चिकित्सीय आवश्यकता है, बल्कि
चिकित्सकों का नैतिक दायित्व भी है। मरीज़ों के स्वास्थ्य की रक्षा वाणिज्यिक
हितों से कहीं ऊपर रखी जानी चाहिए।
प्रस्तुति
प्रो. डॉ. अनिल नौसरान
संस्थापक, यूनाइटेड फ्रंट ऑफ डॉक्टर्स
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