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Thursday, August 7, 2025

अहमद सगीर ने अपने उपन्यासों के साथ-साथ लघु कथाओं में भी अल्पसंख्यक रुझान को प्रस्तुत किया है: प्रो. सगीर अफ्राहीम


-सीसीएस विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग द्वारा "नई सदी में अफसानों में अल्पसंख्यक रूझान" विषय पर एक ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन

नित्य संदेश ब्यूरो 
मेरठ। आज जो नई पीढ़ी लिख रही है, वह अपनी लघु कथाओं में आज की समस्याओं और विशेष रूप से मुसलमानों की समस्याओं पर विशेष ध्यान दे रही है। अहमद सगीर ने अपने उपन्यासों के साथ-साथ अपनी लघु कथाओं में भी अल्पसंख्यक रुझान को प्रस्तुत किया है। प्रेमचंद पूरी तरह से गाँव में रच-बस गए थे और गाँव में ही डूबकर लिखना शुरू किया था। उर्दू भारत की भाषा है, जिसे भारतीयों ने अपने खून और जिगर से सींचा है। ये शब्द प्रसिद्ध आलोचक प्रोफेसर सगीर अफ्राहीम के थे, जो आयुसा और उर्दू विभाग द्वारा आयोजित "नई सदी के अफसानों में अल्पसंख्यक रुझान" विषय पर अपने अध्यक्षीय भाषण के दौरान दे रहे थे।

उन्होंने आगे कहा कि पूरा भारत नूर हुसैन, बेग एहसास, सैयद मुहम्मद अशरफ आदि के उपन्यासों में बसता है। नए उपन्यासकार अल्पसंख्यक रुझान को प्रस्तुत कर रहे हैं। इससे पहले, कार्यक्रम की शुरुआत सईद अहमद सहारनपुरी ने पवित्र कुरान की तिलावत से की। अध्यक्षता प्रोफेसर सगीर अफ़्राहीम की रही। प्रसिद्ध कथाकार और आलोचक अहमद सगीर ने विशिष्ट अतिथि के रूप में भाग लिया। मुज़फ़्फ़रनगर से उज़मा मेहंदी और शोध छात्रा इलमा नसीब सहारनपुर ने शोध-पत्र प्रस्तुत किए। आयुसा अध्यक्ष प्रोफेसर रेशमा परवीन लखनऊ से भी कार्यक्रम से जुड़ीं। फरहत अख्तर ने स्वागत भाषण, डॉ. इरशाद स्यानवी ने विषय-प्रवेश तथा संचालन उर्दू विभाग के शोधार्थी इलमा नसीब ने किया। कार्यक्रम से डॉ. आसिफ अली, डॉ. शादाब अलीम, मुहम्मद शमशाद और अन्य छात्र जुड़े।

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