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Thursday, August 14, 2025

दोहरे हत्याकांड के आरोपी की जमानत खारिज, तीन सप्ताह में सरेंडर का आदेश

 


-पांच साल पहले जिसोरा में हुई थी सगे भाइयों की हत्या, एक की बच गई थी जान

वसीम अहमद

नितय संदेश, मुंडाली थाना क्षेत्र के गांव जिसौरा में करीब पांच वर्ष पूर्व हुए दो सगे भाइयों की हत्या और जानलेवा हमले के एक आरोपी को मिली जमानत को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है। अदालत ने आरोपी को तीन सप्ताह के भीतर संबंधित न्यायालय में सरेंडर करने का आदेश दिया है, साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि मामले में फैसला आने तक अधीनस्थ न्यायालय किसी भी आरोपी को जमानत न दें।


गौरतलब है कि 19 मई 2020 को गांव जिसौरा में खेल के दौरान हुए विवाद ने खूनी रूप ले लिया था। आरोप है कि अजवर के दो बेटों अब्दुल माजिद और अब्दुल खालिक की गोलियों से हत्या कर दी गई, जबकि अजवर का भांजा असजद गंभीर रूप से घायल हो गया था। इस मामले में अजवर ने गांव के ही नियाज अहमद पुत्र औसाफ, अबूबकर व वसीम पुत्र नियाज अहमद, नाजिम व गय्यूर पुत्र इंसाफ, नदीम, दानिश पुत्र गय्यूर, असलम, अकरम पुत्र तनवीर, हामिद और अब्दुल कादिर पुत्र अंसार के खिलाफ हत्या और जानलेवा हमले की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। हालांकि पुलिस विवेचना में हामिद, अकरम और दानिश के नाम बाहर निकाल दिए गए, जबकि शेष आठ आरोपियों को जेल भेजा गया। मामला मेरठ की अदालत में विचाराधीन है।


आठों आरोपियों को जमानत पर कर दिया रिहा

करीब डेढ़ वर्ष पहले हाईकोर्ट ने सभी आठों आरोपियों को जमानत पर रिहा कर दिया था। इसके खिलाफ पीड़ित पक्ष के अजवर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने पहले सुनवाई में नियाज अहमद, वसीम, अबूबकर, असलम और नाजिम की जमानत रद्द कर उन्हें सरेंडर करने का आदेश दिया था, जबकि गय्यूर, नदीम और अब्दुल कादिर की जमानत बरकरार रखी थी। इस आदेश के बाद वसीम लंबे समय तक जेल में रहा, लेकिन तीन जून 2024 को हाईकोर्ट ने उसे फिर से जमानत दे दी। इसके बाद पीड़ित अजवर ने दोबारा सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।


पीड़ित परिवार के फैसला राहत भरा

सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने वसीम की जमानत फिर से रद्द कर दी और उसे तीन सप्ताह के भीतर सरेंडर करने का निर्देश दिया। साथ ही स्पष्ट किया कि मामले का फैसला आने तक अधीनस्थ न्यायालय किसी भी आरोपी को जमानत न दें। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला पीड़ित परिवार के लिए राहत और आरोपियों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। अब देखना होगा कि आरोपी निर्धारित समय के भीतर सरेंडर करता है या नहीं।

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