मेरठ। ग्रामीण इलाकों में लोगों की बढ़ती आय और सामान्य मानसून की संभावना भारत में कंजम्प्शन में आशावाद को जगा रही है। कंजम्प्शन पर आधारित म्यूचुअल फंडों ने 2024 में निवेशकों को काफी आकर्षित किया है। 2025 की शुरूआत में एक छोटे से झटके के बाद, व्यापक बाज़ार की तरह मार्च से इस श्रेणी में उछाल आया है।
टाटा एसेट मैनेजमेंट की सीनियर फंड मैनेजर सोनम उदासी ने कहा, "भारत में कंजम्प्शन एक स्ट्रक्चरल थीम बनी हुई है, जिस पर युवा आबादी, बढ़ती आय और आकांक्षाओं से आने वाली मांगों का प्रभाव है।" उन्होंने आगे कहा, "हमने टाटा इंडिया कंज्यूमर फंड को विवेकाधीन और सेवा-आधारित खपत की ओर झुकाव के साथ रिपोज़िशन किया है, और अत्यधिक प्रचलित, बहुत ज़्यादा इस्तेमाल किए जाने वालों को टाला है। मेरठ जैसे शहरों में हम जो रुझान देख रहे हैं, वह इस बात की पुष्टि करता है कि निवेशक इस दीर्घकालिक निवेश अवसर का लाभ उठा रहे हैं।" कंजम्प्शन फंडों में, टाटा इंडिया कंज्यूमर फंड निवेशकों के लिए विचार करने योग्य निवेश विकल्पों में से एक है। टाटा इंडिया कंज्यूमर फंड की मासिक औसत प्रबंधनाधीन संपत्ति 30 जून, 2025 तक 2,457.4 करोड़ रुपये तक पहुँच गई, जिसमें 31 मार्च, 2024 के 1,457 करोड़ रुपये से 69% की वृद्धि हुई है। निवेश की दृष्टि से, टाटा म्यूचुअल फंड के आंतरिक आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2024 से जून 2025 के बीच टाटा इंडिया कंज्यूमर फंड में रांची से लगभग 6 करोड़ रुपये का निवेश हुआ। कंजम्प्शन फंडों ने 2024 में 20.96% रिटर्न दिया है, जो बीएसई 500 टीआरआई बेंचमार्क (15.67%) से बेहतर प्रदर्शन है और बाज़ार के आशावाद को दर्शाता है।
टाटा इंडिया कंज्यूमर फंड एक दूरदर्शी दृष्टिकोण अपनाता है, जो उपभोक्ता सेवाओं, विवेकाधीन (आवश्यक नहीं है लेकिन इच्छा है इसलिए खरीदी जाने वाले) रिटेल, टिकाऊ वस्तुओं और उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत आने वाली कंपनियों जैसे क्षेत्रों पर ज़ोर देता है, जबकि पारंपरिक ऋणग्रस्त क्षेत्रों और हर दिन इस्तेमाल होने वाले उत्पादों से सचेत रूप से दूर रहता है। यह डिजिटल वित्तीय सेवाओं और ऑटो, पूंजीगत वस्तुओं और निर्माण सामग्री जैसे बी2सी उपभोक्ता-केंद्रित व्यवसायों में विविध निवेश भी बनाए रखता है।
यह फंड भारत के विकसित हो रहे कंजम्प्शन पैटर्न पर ध्यान केंद्रित करता है, जिसमें त्वरित-सेवा वाले रेस्टोरेंट और ई-कॉमर्स एग्रीगेटर्स से लेकर ब्रांडेड टिकाऊ वस्तुओं और फैशन तक सभी शामिल हैं, जिससे यह भारत के विकास के अगले चरण में निवेश करने के इच्छुक निवेशकों के लिए एक विकल्प बन गया है। केंद्रीय बजट में कृषि ऋण को बढ़ावा देने, आयकर में राहत से डिस्पोज़ेबल आय में वृद्धि, तथा सामान्य मानसून से ग्रामीण क्षेत्रों में सुधार की उम्मीद के साथ, निकट भविष्य में कंजम्प्शन, खासकर गैर-मेट्रो बाज़ारों में, और अधिक बढ़ने की उम्मीद है।
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