Breaking

Your Ads Here

Sunday, July 13, 2025

एडमिशन हेतु सोच समझ कर ही करें डेन्टल कालेज का चयन: डॉ. निखिल श्रीवास्तव


बीडीएस कोर्स में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को दिया मार्गदर्शन

अनम शेरवानी 
नित्य संदेश, मेरठ। नीट (यू0जी0 2025) में उत्तीर्ण छात्र जो बी.डी.एस. कोर्स में दाखिला लेना चाहते है, बड़ी समझदारी से ही डेन्टल कॉलेजों का चयन करें, क्योंकि दाखिले के बाद अगले 5 वर्ष तक वे किसी अन्य कॉलेज में स्थानांतरण नही करा सकेंगे। यह सलाह डेन्टल काउंसिल ऑफ इण्डिया के सदस्य एवं सुभारती डेन्टल कॉलेज, स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय मेरठ के प्रधानाचार्य डॉ निखिल श्रीवास्तव ने एक साक्षात्कार के दौरान दी। 

उन्होंने सभी उत्तीर्ण छात्रों को बधाई दी एवं सलाह दी कि एजेंट की बातों में भरोसा करने से पहले कॉलेज की वास्तविक स्थिति जानने के लिए छात्र पहले उन कॉलेजो का गुप्त रूप से भ्रमण करें। वहां के डेन्टल व मेडिकल अस्पताल का वातावरण एवं मरीजो की संख्या इत्यादि की भी जानकारी लें। डॉ निखिल जो पिछले 29 वर्षो से डेन्टल कॉलेज से अध्यापक एवं डॉक्टर के रूप में जुड़े हुए है, उन्होंने अपने अनुभव के आधार पर छात्रो को निम्नलिखित 5 बातों का अवश्य ध्यान रखकर ही कॉलेज का चयन करने के सुझाव दिए है।

पहला, पॉच वर्ष के बी.डी.एस. कोर्स में 4 वर्ष पढाई एवं 1 वर्ष की इंटर्नशिप करनी होती है। इस दौरान छात्रों को 17 विषयों को पढ़ना एवं पास करना होता है। इन 17 विषयों में से 8 महत्वपूर्ण विषय मेडिकल के होते है जिनकी विधिवत पढ़ाई केवल मेडिकल के अध्यापकों द्वारा मेडिकल कॉलेज में हो सकती है। अतः अभिभावकों को उस डेन्टल कालेज को प्राथमिकता देनी चाहिए जिनके पास अपना मेडिकल कॉलेज हो ताकि छात्रों को उच्च स्तर की मेडिकल विषयों की शिक्षा एवं ट्रेनिंग दी जा सके।

दूसरी सलाह देते हुए डॉ. निखिल श्रीवास्तव ने कहा कि कॉलेज में कार्य करने वाले अध्यापक एवं डॉक्टरों की उचित संख्या एवं वे सप्ताह के सभी दिन आते है या नही, के बिना छात्रो की समुचित ट्रेनिंग नहीं हो सकती इसलिए छात्र दाखिला लेने से पूर्व ये भी सुनिश्चित करें कि उस कॉलेज में अध्यापकों की संख्या समुचित है या नही।

तीसरी बात, जिन कॉलेजों में अध्यापक जल्दी-जल्दी बदलते रहते है वहाँ भी पढाई का स्तर एवं छात्रो की समुचित टेªनिंग नहीं हो सकती। अतः अभिभावक ये भी पता करे कि अध्यापक विशेषकर विभागाध्यक्ष कितने वर्षो से कार्यरत है।
चौथी बात उन कॉलेज में आने वाले मरीजों की संख्या (ओ.पी.डी.)। जिन कॉलेजों में प्रतिदिन कम मरीज आते है वहा। भी टेªनिंग समुचित नहीं हो पाती, परिणाम स्वरूप छात्र पास होने के बाद भी अनुभवहीनता के कारण न तो मरीजों का अच्छा इलाज कर पाते है और न ही अपना क्लीनिक खोल पाते है और बाद में पछताते है।

अन्तिम बात उस कॉलेज में छात्रो को दी जाने वाली सुविधाये जैसे कि उपकरण, लैब, क्लीनिक एवं पुस्तकालय इत्यादि। इन सुविधाओं के अभाव में भी छात्रो की ट्रेनिंग सुचारू रूप से नही हो सकती। आज छात्र कड़ी मेहनत करके नीट परीक्षा में उत्तीर्ण होते है अतः उनके साथ उनके अभिभावको का भी उत्तर दायित्व है कि वे कालेज देखते समय डेन्टल अस्पताल, मेडिकल ओपीडी एवं वार्ड लैब, क्लिनिक तथा लाइब्रेरी इत्यादि का अवश्य भ्रमण करे तथा एजेंट अथवा कॉलेज प्रशासन द्वारा कम फीस अथवा रियायत के लोभ में न आते हुए सोच समझ कर एवं कॉलेज की पूरी जानकारी प्राप्त करने के बाद ही काउंसलिंग में सर्वश्रेष्ठ कॉलेज को ही लॉक करे।

अधिक जानकारी एवं सलाह के लिए छात्र 9997416936 या www.subharti.org पर भी संपर्क कर सकते है।

No comments:

Post a Comment

Your Ads Here

Your Ads Here