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तू रक्षक बन, संरक्षक बन,
मां मालव तू अब माहे संसार की
अंगरक्षक बन।
अरावली की गोद में पलते,
मेरे रक्त की संरक्षक बन।
निज जीवन की उलझन में भी,
मेरे ममत्व की तू रक्षक बन।
संजीवनी बन, शक्ति तू बन,
उसके जीवन की ढाल तू बन।
सर्व सद्गुण संपन्न बनाकर उसको,
अपने नाम की तू रक्षक बन।
जब हारे मन मां का तो,
अदम्य शक्ति बन तू सख्ती कर।
मां मालव तू अब माहे संसार की
अंगरक्षक बन।
तू रक्षक बन, संरक्षक बन ,
मेरे लाल 'जयादित्य' की
तू रक्षक बन, संरक्षक बन।
- मनीषा पंवार
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