अनम शेरवानी
नित्य संदेश, मेरठ। उत्तर प्रदेश लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान (संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार) एवं भाषा विभाग, कला एवं सामाजिक विज्ञान संकाय, स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्त्वावधान में एक दस दिवसीय कजरी लोक गायन / नृत्य कार्यशाला का आयोजन 25 जुलाई 2025 से 04 अगस्त 2025 तक किया जा रहा है। इस कार्यशाला का उद्देश्य उत्तर प्रदेश की समृद्ध लोक-संस्कृति की अनुपम विधा कजरी को संरक्षित करना एवं नई पीढ़ी को इससे जोड़ना है।
कजरी लोक गायन एवं नृत्य पूर्वांचल क्षेत्र की एक लोकप्रिय लोक कला है, जो विशेष रूप से श्रावण मास में महिलाओं द्वारा प्रस्तुत की जाती है। इसमें वर्षा ऋतु, प्रेम, विरह एवं प्रकृति से जुड़ी भावनाओं को सजीव किया जाता है। यह कार्यशाला पारंपरिक लोक कलाकारों, विशेषज्ञों एवं प्रशिक्षकों की सहभागिता से संचालित होगी, जिसमें विद्यार्थियों, शोधार्थियों और लोक-संस्कृति में रुचि रखने वाले प्रतिभागियों को कजरी की पारंपरिक शैलियों, भाव-भंगिमाओं, ताल-लय एवं मंचीय प्रस्तुति के विविध पक्षों का व्यवहारिक प्रशिक्षण दिया जाएगा।
डॉ. सीमा शर्मा, संयोजक एवं अध्यक्ष, भाषा विभाग, सुभारती विश्वविद्यालय ने बताया कि वर्तमान समय में डिजिटल संस्कृति और शहरीकरण के कारण पारंपरिक लोक कलाएं विलुप्त होती जा रही हैं। उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला का उद्देश्य न केवल कजरी जैसी लोक विधा का संरक्षण करना है, बल्कि नई पीढ़ी में सांस्कृतिक चेतना एवं उत्तरदायित्व की भावना का संचार करना भी है।"
इस पहल के माध्यम से लोक कलाओं के संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में एक ठोस प्रयास किया जा रहा है, जिससे प्रतिभागियों को लोक परंपराओं की जीवंतता का अनुभव हो सके।
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