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Sunday, June 22, 2025

प्राथमिक विद्यालयों के विलय पर भारतीय किसान यूनियन इंडिया ने उठाई आवाज, संदीप तितौरिया ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर निर्णय वापस लेने की माँग की


नित्य संदेश ब्यूरो 
मेरठ। भारतीय किसान यूनियन इंडिया ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राज्य भर के कम छात्र संख्या वाले 27,965 परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों को समीपवर्ती विद्यालयों में विलय करने के निर्णय को शिक्षा विरोधी, सामाजिक न्याय के विरुद्ध तथा संविधान की मूल भावना के प्रतिकूल बताया है। मुख्यमंत्री को संबोधित एक विस्तृत पत्र में श्री तितौरिया ने इस निर्णय की कठोर शब्दों में निंदा करते हुए इसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 21(क) तथा नीति निर्देशक तत्वों के अनुच्छेद 46 की घोर अवहेलना करार दिया।

संदीप तितौरिया ने कहा कि यह निर्णय केवल शिक्षा प्रणाली को कमजोर करने तक सीमित नहीं है, अपितु यह लाखों युवाओं के भविष्य के साथ भी अन्याय है, जो विगत छह वर्षों से शिक्षक बनने का स्वप्न संजोए हुए हैं और शिक्षक भर्ती की प्रतीक्षा कर रहे हैं। जब विद्यालय ही समाप्त कर दिए जाएँगे, तो भविष्य में शिक्षकों की नियुक्ति की कोई संभावना नहीं बचेगी। यह स्थिति युवाओं के आत्मविश्वास को तोड़ेगी और राज्य में बेरोजगारी की दर में और वृद्धि होगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस निर्णय का सबसे अधिक दुष्प्रभाव समाज के पिछड़े, दलित एवं वंचित वर्गों पर पड़ेगा, क्योंकि परिषदीय विद्यालयों में अध्ययनरत अधिकांश छात्र इसी सामाजिक श्रेणी से आते हैं। इन विद्यालयों का समीपवर्ती विद्यालयों में समायोजन करने से बच्चों को अब 3 से 4 किलोमीटर की दूरी तय कर विद्यालय पहुँचना पड़ेगा। इससे विशेष रूप से बालिकाओं की शिक्षा पर प्रतिकूल असर पड़ेगा तथा विद्यालय छोड़ने वाले बच्चों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हो सकती है।

श्री तितौरिया ने कहा कि यदि यह निर्णय लागू किया गया, तो इससे शिक्षा के क्षेत्र में भारी गिरावट आएगी। बच्चों के लिए शिक्षा सुलभ नहीं रह जाएगी और बाल-श्रम, बाल-विवाह जैसी कुप्रथाओं को पुनः बढ़ावा मिलेगा। साथ ही यह निर्णय सामाजिक विषमता को और गहराएगा, जिससे संविधान द्वारा प्रदत्त समानता, शिक्षा और अवसर की अवधारणाएँ प्रभावित होंगी। उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि वे इस जनविरोधी, शिक्षा विरोधी एवं सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के विरुद्ध लिए गए निर्णय को तत्काल प्रभाव से निरस्त करें और समस्त विद्यालयों को पूर्ववत संचालित करने हेतु निर्देश जारी करें। सरकार यदि वास्तव में शिक्षा सुधार को लेकर प्रतिबद्ध है, तो उन विद्यालय बंद करने की बजाय नए विद्यालय खोलने चाहिए और रिक्त पदों पर शीघ्र भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ करनी चाहिए।

यह पत्र न केवल सरकार के निर्णय पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगाता है, अपितु यह समाज के वंचित वर्गों की पीड़ा और उनकी आशाओं का प्रतिनिधित्व भी करता है। यदि सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया, तो यह आंदोलनात्मक रूप भी ले सकता है।,

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